Explainer: क्या है नासा का वह उपकरण जो हजार डिग्री के तापमान पर भी धरती पर भेजता है तस्वीरें?
NASA Parker Solar Probe: नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने इतिहास रच दिया है. सूर्य के सबसे पास पहुंचने के मामले में उसने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है. नासा ने कहा है कि इस पर 870 से 930 डिग्री सेल्सियस तापमान का भी कोई असर नहीं होता. ऐसे में हैरानी होती है कि आखिर इतने अधिक तापमान पर ये प्रोब कैसे काम कर लेता है और वह कौन सा उपकरण है जो इस माहौल में भी तस्वीरें हासिल करने के काबिल होता है. आइए जानते हैं कि नासा ने इस प्रोब के साथ कौन सा उपकरण भेजा और वह हजार डिग्री के आसपास के माहौल में कैसे तस्वीरें ले सकता है.
सूर्य के कितने पास तक पहुंचा है पार्कर?
नासा कि रिपोर्ट के मुताबिक पार्कर प्रोब बीते 24 दिसंबर को वह सूर्य की सतह से केवल 61 लाख किलोमीटर की दूरी तक पहुंच कर गुजरा है और कल यानी 27 दिसंबर को वह संदेश भेजेगा. यह पहली मानव निर्मित वस्तु है जो सूर्य के इतने निकट पहुंचा है.
6 साल पहले निकला था धरती से
पार्कर प्रोब को 12 दिसंबर 2018 को प्रेक्षेपित किया गया था. इसके सबसे अहम उपकरण वाइड-फील्ज इमेजर फॉर सोलर प्रोब (WISPR) है जो इसका एकमात्र इमेजिंग उपकरण है. विस्पर का मतबल सूर्य के कोरोना, सौर पवन, आदि की तस्वीरें लेने के लिए बनाया गया है. इसका सबसे बड़ा मसकद सूर्य के पास रहने का फायदा उठा कर उन तस्वीरों को हासिल करना है जो कि सूर्य से दूर पृथ्वी से नहीं ली जा सकती हैं.
WISPR अकेला पार्कर प्रोब का तस्वीरें लेने वाला उपकरण हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
खास क्यों है?
WISPR एक जूते के डिब्बे के आकार का उपकरण है, जिससे सूर्य के पास के वातावरण की तस्वीरें भी हासिल की जा सकेंगी जो कि दूसरे से हासिल नहीं की जा सकती हैं. इससे हमारे वैज्ञानिक सूर्य और उसके आसापास के वातावरण के बारे में और अधिक जानकारी हासिल कर सकेंगे.
किसी की तस्वीर लेगा WISPR
WISPR सूर्य की सीधी तस्वीर नहीं लेगा. यह उपकरण सर्य से 13 से 108 डिग्री दूर तक की तस्वीरें लेगा जिसमें वह सूर्य से निकलने वाले महीन कणों, जैसे इलेक्ट्रॉन घनत्व और उनकी गति का अध्ययन कर वह जानकारी दे सकेगा जो कि पृथ्वी के आसपास से संभव ही नहीं है. इसमें दो अलग-अलग दूरबीनें शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 2,048×1,920 पिक्सेल के रिज़ॉल्यूशन वाला विकिरण-कठोर CMOS इमेजर है और CMOS सेंसर है जो एक सक्रिय पिक्सेल सेंसर प्रकार का डिटेक्टर है.
WISPR अभी सूर्य से 61 लाख किलोमीटर की दूरी की तस्वीरें ले पा रहा है. (तस्वीर: NASA)
तापमान का नहीं होगा असर
खास बात ये है कि इसके डिजाइन करते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि सूर्य की किरणें सीधे इस उपकरण पर ना पड़े. जाहिर है इसमें यह अहम पहलू है कि उकरण को प्रोब में कैसे और कहां रखा जाएगा. इससे यह भी पता चलता है कि तापमान की वजह से WISPR के खराब होने से पहले पार्कर प्रोब में ही कोई खराबी आएगी.
इतनी है प्रोब की रफ्तार
नासा का दावा है कि अगर प्रोब का तापमान 1,377 डिग्री सेल्सियस के माहौल में भी पहुंच जाए तो भी वह उसे सहन कर सकता है. इसमें कोई खराबी नहीं आएगी. वही प्रोब की खुद की रफ्तार 690,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की हो चुकी है.
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लेकिन मजेदार बात ये है कि पार्कर सोलर प्रोब के साथ WISPR अकेला उकरण ही नहीं है. उसके अलावा सोलर विंड इलेक्ट्रॉन्स एल्फास एंड प्रोटोन्स इंन्वेस्टीगेशन या SWEAP का काम प्रोब से गुजरने वाले कणों को गिनने का काम कर रहा है. इन कणों में इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और हीलियाम आयन जैसे कण शामिल हैं जो सौर पवन के रूप में सूर्य से बाहर की ओर बहते हैं. वैज्ञानिकों को इससे सौर परवन और कोरोना के प्लाज्मा के बारे में पता चल सकेगा. वहीं FIELDS उपकरण सूर्य की इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फील्ड की जानकारी हासिल कर रहा है.
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 20:28 IST