Explainer: गाजा सीजफायर के बावजूद लाल सागर का रास्ता फिर से क्यों नहीं हो रहा है शुरू?


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गाजा सीजफायर को रविवार को सुबह अमल में लाया जाएगा. बताया जा रहा है कि इजाइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू इस समझौते के लिए मान गए हैं. लेकिन इस सीजफायर के लागू होने के बीच ऐसी कोई खबर नहीं है कि दुनिया की शिपिंग…और पढ़ें

Explainer: गाजा सीजफायर के बावजूद लाल सागर का रास्ता  क्यों नहीं हो रहा शुरू?

गाजा सीजफायर मध्य पूर्व इलाकें शांति की शुरुआत भी हो सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दुनिया में अधिकांश सामान का आदान प्रदान समुद्री रास्तों से ही होता है. तमाम शिपिंग कंपनियां  कुछ खास तरह के रास्ते ही अपनाया करते हैं जो कई लिहाज से संवेदनशील रास्ते भी माने जाते हैं.  इनमें से एक है यूरोप के भूमध्यसागर से स्वेज नहर से होते हुए लाल के रास्ते  अरब साल होते हुए एशिया का रास्ता है, जो यूरोप को एशिया से जोड़ता है. बीते कुछ समय से मध्य पूर्व में युद्ध जैसे हालात की वजह से दुनिया की शिपिंग कंपनियों ने इस रास्ते का उपयोग बंद कर रखा था. पर इजराइल हमास के बीच हो रही गाजा सीजफायर तय होने के बावजूद कंपनियां रास्ते का उपयोग के लिए उदासीन हैं. इसके पीछे कुछ खास कारण हैं.

क्यों अहम है ये रास्ता?
जब इस रास्ते में रुकावट आती है तो यूरोप से एशिया आने का रास्ता बहुत लंबा हो जाता है और जहाजों को पूरे अफ्रीका का चक्कर लगाकर यूरोप से एशिया आना पड़ता है.  इससे आने जाने वाले सामान की कीमते बढ़ जाती हैं. ऐसे में पूरी कोशिश की जाती है कि इस रास्ते पर कोई एक गुट या देश एकाधिकार ना करे और इसके लिए कई तरह के अंतरराष्ट्रीय समझौते और संधियां काम कर रही हैं.

कोई उत्साह नहीं
मिडिल ईस्ट में जब अस्थिरता होती है तो उसका सीधा लाल सागर पर ही होता है. ऐसे में साफ तौर पर यह उम्मीद जागी थी कि जब इजराइल और हमास के बीच सीजफायर होगा तो जहाजों के आवागमन पर भी कोई बड़ा फैसला हो सकता है. लेकिन शिपिंग कंपनियों की ओर इस दिशा में किसी तरह का कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है.

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लाल सागर का व्यापारिक मार्ग खुलने के लिए पूरे इलाके का युद्ध और संघर्ष से मुक्त होना जरूरी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

यमन के हौती विद्रोही
लाल सागर और उसके आसपास  के इलाकों में शांति ही इस व्यापारिक के खुलने की चाबी है. ऐसे में गाजा, फिलिस्तीन, इजारइल के बीच की समस्या केवल इन्हीं तीनों तक सीमित नहीं है. बल्कि इनके संघर्ष में यमन के हौती विद्रोहियों की भी भूमिका है जो यमन में अपनी अलग  लड़ाई तो लड़ रहे हैं, लेकिन वे इजारल के धुर विरोधी भी हैं. उन्होंन लाल सागर पर हमले कर क्षेत्र में खासी अस्थिरता फैला रखी थी.

सीजफायर से क्यों जागी उम्मीदें
सीजफायर पर हौती विद्रोहियों ने भी अपना रिएक्शन दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर इजराइल ने सीजफायर तोड़ने की कोशिश की तो वो इजराइल पर हमले जारी रखेंगे, नहीं तो वे भी इस सीजफायर का पालन करेंगे और लाल सागर के हमलों को रोक देंगे. इन हालात में यह उम्मीद किया जाना कतई गलत नहीं माना जाना चाहिए कि लाल सागर का व्यापारिक मार्ग भी जल्दी ही खुल सकता है.

लेकिन कंपनियां उत्साहित क्यों नहीं?
लेकिन इस घटनाक्रम के बावजूद शिपिंग कंपनियां उत्साहित नहीं हैं और वहां यथास्थिति कायम है. इसलिए अभी इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. रायटर के मुताबिक शिपिंग कंपनियों का कहना है कि लाल सागर को अदन की खाड़ी से जोड़ने वाली बाब अल मनदाब की जलसंधि से गुजरने का जोखिम अब भी बहुत ही अधिक है.  यही कारण है कि कंपनिया अफ्रीका के दक्षिणतम बिंदु केप ऑफ होप से हुए अपने जहाज ले जा रही हैं.  जिससे काफी समय और लागत बढ़ रही है.

समय लगेगा बहुत
इसके अलावा अगर वाकई में सीजफायर से स्वज नहर वाला लाल सागार का व्यापारिक मार्ग खुलता है तो इसके सही में शुरू होने में कुछ हफ्तों से महीनों का वक्त लग सकता है क्योंकि कंपनियों को अपने आवाजाही की योजनाओं में बदलाव करना होगा. वहीं तरल प्राकृतिक गैस के जहाजों में तो और भी ज्यादा समय लगेगा क्योंकि उन्हें अधिक सुरक्षा की जरूरत होती है.

इसके अलावा कंपनियां यह भी देखना चाहती हैं कि सीजफायर को बाद इजराइल और हमास या हौतियों का एक दूसरे के लिए क्या रवैया रहता है. इन सभी हालात को देखते हुए जहाज कंपनियां फिलहाल कोई भी फैसला ना लेते हुए सावधानी ही बरतने के पक्ष में हैं.

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