Explainer: How Artificial Rain Is Made In UAE, What Is The Connection With The Bad Weather Of Dubai? – Explainer: UAE में कैसे कराई जाती है कृत्रिम बारिश, दुबई के बिगड़े मौसम से क्या है संबंध



3lf93jto dubai flood Explainer: How Artificial Rain Is Made In UAE, What Is The Connection With The Bad Weather Of Dubai? - Explainer: UAE में कैसे कराई जाती है कृत्रिम बारिश, दुबई के बिगड़े मौसम से क्या है संबंध

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में सालाना बारिश का औसत 200 मिलीमीटर से कम है. गर्मियों के दौरान तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने के कारण यूएई में पानी का भारी संकट है. यह देश भूजल स्रोतों पर निर्भर है, जिनमें पानी का अत्यधिक अल्प उपलब्धता है.

पानी के संकट के अहम मुद्दे से निपटने के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने इसके समाधान के लिए नई दिशाओं में कदम बढ़ाया है. इनमें से एक तरीका क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराना है. यह बारिश को बढ़ाने के उद्देश्य से वेदर मॉडिफिकेशन का एक रूप है. लेकिन यह काम कैसे करता है?

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें बादलों में कंडेंसेशन प्रोसेस को बढ़ाने और बारिश को गति देने के लिए उनमें “सीडिंग एजेंटों” को छोड़ा जाता है. यह प्रक्रिया एनसीएम में मौसम के पूर्वानुमान के आदार पर वायुमंडलीय स्थितियों की निगरानी और बारिश के पैटर्न के आधार पर सीडिंग के लिए उपयुक्त बादलों की पहचान करने से शुरू होती है.

यूएई ने पहली बार सन 1982 में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया था. 2000 के दशक की शुरुआत में अमेरिका के कोलोराडो के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NCAR), दक्षिण अफ्रीका की विटवाटरसैंड यूनिवर्सिटी और नासा के वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान से खाड़ी देश में कृत्रिम बारिश कराने का रास्ता खुला.

यूएई के वर्षा संवर्धन कार्यक्रम (UAEREP) का प्रबंधन अमीरात का राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (NCM) करता है.

वैज्ञानिकों ने इस कृत्रिम बारिश कार्यक्रम के तहत संयुक्त अरब अमीरात के वायुमंडल की भौतिक और रासायनिक विशेषताओं, खास तौर पर एरोसोल और प्रदूषकों और बादलों के निर्माण में उनके प्रभाव का विश्लेषण करने पर ध्यान केंद्रित किया.  इसका उद्देश्य बादलों के विकास को बढ़ाना और बारिश बढ़ाने के लिए एक प्रभावी एजेंट की पहचान करना था.

एक बार जब अनुकूल बादलों की पहचान हो जाती है तो हाइग्रोस्कोपिक फ्लेयर्स वाले विशेष विमान आसमान में जाते हैं. विमान के पंखों पर लगे इन फ्लेयर्स में नमक सामग्री के घटक होते हैं. तय बादलों तक पहुंचने पर फ्लेयर्स को तैनात किया जाता है, जिससे सीडिंग एजेंट को बादल में छोड़ा जाता है.

नमक के कण नाभिक (Nuclei) की तरह काम करते हैं जिसके चारों ओर पानी की बूंदें कंडेंस हो जाती हैं, और अंततः वे इतनी भारी हो जाती हैं कि बारिश के रूप में गिरने लगती हैं.

यूएईआरईपी (UAEREP) की प्रक्रिया के ब्योरे में लिखा है कि,  “एनसीएम ने मौसम की निगरानी के लिए 86 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशनों (AWOS), पूरे यूएई को कवर करने वाले छह वेदर रडार और एक अपर एयर स्टेशन का एक नेशनल नेटवर्क स्थापित किया है. केंद्र ने जलवायु डेटाबेस भी बनाया है. यूएई में मौसम की सटीक भविष्यवाणी और सिमुलेशन सॉफ्टवेयर और न्यूमेरिकल वेदर प्रिडिक्शंस का इस्तेमाल किया जाता है.” 

“वर्तमान में एनसीएम अल ऐन हवाई अड्डे से चार बीचक्राफ्ट किंग एयर सी90 विमान संचालित करता है जो क्लाउड सीडिंग और वायुमंडलीय अनुसंधान के लिए निर्धारित नई तकनीकों और उपकरणों से सुसज्जित हैं.”



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