EXPLAINER: This Is What India Is Hoping To Achieve Through Chandrayaan 3 – EXPLAINER: चंद्रयान 3 से क्या-क्या हासिल होने की उम्मीद कर सकता है भारत
नई दिल्ली:
अब से कुछ ही घंटे बाद हिन्दुस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO द्वारा भेजे गए चंद्रयान 3 का लैंडर विक्रम ‘चंदा मामा’ की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा, और कामयाबी की सूरत में भारत दुनिया का पहला मुल्क बन जाएगा, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा.
चंद्रयान 3 से जुड़ी 10 खास बातें…
-
चंद्रयान 3 के बुधवार शाम 6:04 बजे चांद पर उतरने की उम्मीद है, और ऐसा होते ही भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाने वाला चौथा मुल्क बन जाएगा.
-
रूस के लूना 25 अंतरिक्ष यान के रविवार को चंद्रमा पर क्रैश कर जाने के बाद चंद्रयान 3 का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले उतरने का होगा. चांद का दक्षिणी ध्रुव – अपोलो लैंडिंग सहित पिछले मिशनों द्वारा लक्षित भूमध्यरेखीय क्षेत्र से बहुत दूर – गड्ढों और गहरी खाइयों से भरा है.
-
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बेहद अहम है, क्योंकि माना जाता है कि इस क्षेत्र में पानी से बनी बर्फ़ है, जो भविष्य में चंद्रमा पर इंसानी बसावट में सहाक हो सकती है.
-
कामयाब होने की सूरत में चंद्रयान 3 मिशन भारत की अंतरिक्ष इंडस्ट्री को भी बड़ा उछाल दे सकता है. यह न केवल अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत की साख को मज़बूत करेगा, बल्कि भविष्य के चंद्र मिशनों पर भी इसका असर पड़ेगा.
-
चंद्रयान 3 मिशन अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए नई तकनीक का भी प्रदर्शन करेगा.
-
चंद्रयान 3 का लैंडर विक्रम अपने साथ ‘प्रज्ञान’ नामक रोवर ले गया है, जो चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करेगा और पानी की खोज करेगा.
-
‘प्रज्ञान’ अपने लेसर बीम का इस्तेमाल चंद्रमा की सतह के एक टुकड़े को पिघलाने के लिए करेगा, जिसे ‘रेगोलिथ’ (regolith) कहा जाता है, और इस प्रक्रिया में उत्सर्जित गैसों का विश्लेषण करेगा.
-
इस मिशन के माध्यम से भारत न केवल चंद्रमा की सतह के बारे में ढेरों जानकारी हासिल करेगा, बल्कि भविष्य में मानव निवास के लिए इसकी क्षमता का भी आकलन करेगा.
-
एक अन्य पेलोड – रेडियो एनैटमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर (RAMBHA) – चंद्रमा की सतह के पास आवेशित कणों के घनत्व को मापेगा और यह भी जांचेगा कि ये समय के साथ कैसे बदलते हैं.
-
एक अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) रासायनिक संरचना को मापेगा और चंद्रमा की सतह की खनिज संरचना का अनुमान लगाएगा, जबकि लेसर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) चंद्रमा की मिट्टी की मौलिक संरचना निर्धारित करेगा.