Extramarital Affair: ऐसे लोग ​शादी के बाद पार्टनर को देते हैं धोखा, दूसरे से बनाते संबंध, ग्रहों का ये खेल बनाता धोखेबाज


Extramarital Affair As Per Astrology: अक्‍सर यह सुनने में आता है किसी पुरुष या महिला के विवाह के बाद भी किसी दूसरे व्‍यक्ति के साथ प्रेम संबंध हैं यानी कि एक्‍स्‍ट्रा मैरिटल अफेयर्स. क्‍या आप जानते हैं कि कई बार व्‍यक्ति ऐसा सोच-समझकर नहीं करता बल्कि ग्रह-नक्षत्रों की खराब स्थितियां उससे यह सब करवाती हैं. आइए जानते हैं कि ये कौन से ग्रह हैं? इनकी कौन दी दशाएं हैं और ये व्‍यक्ति के जीवन को किस कदर प्रभावित करती हैं?

कुंडली में बनते हैं एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के योग

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली में कुछ ग्रह स्थितियां ऐसी हो सकती हैं, जिनसे दो शादियां या एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर होने का संकेत मिलता है-

1. अगर कुंडली के सप्तम भाव में मंगल और शुक्र की युति हो, तो इससे एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर का संकेत मिलता है.

2. अगर कुंडली में शुक्र और बुध की युति दशम भाव या लग्न भाव में हो, तो इससे बहुविवाह का संकेत मिलता है.

3. अगर कुंडली में चंद्र और शनि की युति सप्तम भाव में हो, तो इससे एक से ज़्यादा शादियों का संकेत मिलता है.

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4. अगर कुंडली में सप्तम भाव में सूर्य, शनि, शुक्र, मंगल, और चंद्रमा के साथ अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो इससे एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर का संकेत मिलता है.

5. अगर कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी का 6, 8, या 12वें भाव में होना हो, तो इससे दो शादियों का संकेत मिलता है.

6. अगर कुंडली में शनि और राहु या केतु की युति हो, तो इससे दो शादियों का संकेत मिलता है.

7. अगर कुंडली में सप्तम भाव में शनि की दृष्टि हो, तो इससे दो शादियों का संकेत मिलता है.

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एक से अधिक हो सकते हैं संबंध
यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल और शुक्र की युति दशम भाव में और तुला राशि में राहु-केतु हों तो यह भी अच्‍छा संकेत नहीं माना जाता है. इसका अर्थ होता है कि जातक के एक से अधिक लोगों के साथ संबंध होंगे.

एक्‍स्‍ट्रा मैरिटल अफ़ेयर के जिम्‍मेदार ग्रह
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र और बुध की युति दशम भाव या फिर सप्‍तम या लग्‍न भाव में हो तो यह अशुभ संकेत होता है. यह बताता है कि व्यक्ति के कई विवाह हो सकते हैं, जिनकी कुंडली में मंगल और शुक्र की युति सप्‍तम, लग्‍न या फिर दशम भाव में हो तो ज्‍योतिषशास्‍त्र के मुताबिक यह अच्‍छा संकेत नहीं होता. दशम भाव में वृष या फिर तुला राशि हो, शुक्र, शनि और बुध ग्रह उसी भाव में हों तो यह भी विवाहेत्तर संबंधों को दर्शाते.

यदि किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इस तरह के योग हैं तो ऐसे ऐसे लोगों के जीवनसाथी को इनका ध्यान रखना चाहिए. सही समय पर यदि कुंडली में ग्रहों का उपचार नहीं किया तो अक्सर ऐसे जातक अपने जीवनसाथी की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो जाते हैं.

Tags: Astrology, Dharma Aastha



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