Fish production is being done through biofloc technology in Nainital


नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग में इन दिनों बायोफ्लॉक तकनीक में काम चल रहा है. इस तकनीक का उद्देश्य नैनीताल की प्रसिद्ध नैनी झील में विलुप्त हो चुकी साइजोथोरेक्स, रिचर्डसोनाई स्नोट्रॉउट प्रजाति की मछलियों को पुनर्जीवित कर श्रृंखलित करना है. कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीएस रावत ने आंतरिक वित्त सहायता से बायोफ्लॉक तकनीक के लिए दो लाख रुपए की राशि भी विभाग को दी है, जिससे परिसर में दो बायोफ्लॉक फीस टैंक का निर्माण किया जाएगा. वहीं परिसर में पहले से ही चार बायोफ्लॉक टैंक संचालित किए जा रहे हैं.

बायोफ्लॉक मछली पालन तकनीक
किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से नैनीताल के डीएसबी कॉलेज पहुंचे प्रोफेसर लुक राम ने लोकल18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि बायोफ्लॉक मछली पालन की एक तकनीक है, जिसकी सहायता से कम जगह में मछली पालन किया जा सकता है. जिसमें एक छोटा सा टैंक बनाकर लगभग 5 हज़ार से लेकर 10 हज़ार लीटर पानी का उपयोग करके मछली पालन किया जा सकता है. खास बात यह है कि इस तकनीक के माध्यम से टैंक का पानी खराब नहीं होता और उसे बदलने की जरूरत नहीं पड़ती.

अमोनिया को प्रोटीन में बदलने की प्रक्रिया
प्रोफेसर आलोक राम लोकल 18 को बताते हैं कि बायोफ्लॉक तकनीक के माध्यम से मछली द्वारा उत्सर्जित अपशिष्ट अमोनिया को प्रो बायोटिक और बैक्टीरिया का उपयोग करके अमोनिया को खत्म करके प्रोटीन में बदला जाता है, जो मछलियों के लिए अच्छा होता है. वहीं प्रोटीन के कारण मछलियों के दिए जाने वाले चारे की मात्रा में भी कमी आती है. उन्होंने बताया कि इस तकनीक का उपयोग करके कम जगह में मछलियों का अधिकाधिक उत्पादन किया जा सकता है. साथ ही यह तकनीक स्वरोजगार का जरिया भी बन सकती है. बायोफ्लॉक शुरू करने का खर्च लगभग 10 हजार से लेकर 50 हजार तक आता है. सरकार द्वारा भी PMMSY स्कीम के तहत इस स्कीम के लिए लोन दिया जा रहा है.

नैनीताल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने बनाया कीर्तिमान, बन गए डॉक्टर साहब

विलुप्त मछलियों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य
नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एच.एस. बिष्ट ने बताया कि नैनीताल में बायोफ्लॉक तकनीक शुरू करने का उनका उद्देश्य नैनीझील से विलुप्त हो चुकी साइजोथोरेक्स, रिचर्डसोनाई स्नोट्रॉउट प्रजातियों की मछलियों को पुनः पुनर्जीवित करना है. उन्होंने बताया कि इसके लिए इन मछलियों का उत्पादन बायोफ्लॉक के माध्यम से कॉलेज में किया जा रहा है. जल्द नैनीझील में इन मछलियों के बीजों को डाला जाएगा. जंतु विज्ञान विभाग में 6 बायोफ्लॉक टैंक बनाए गए हैं, जहां छात्रों को भी इस तकनीक के बारे में जानकारी दी जा रही है.

Tags: Local18, Nainital news, Special Project, Uttarakhand news



Source link

x