Former Congress MP Expressed Displeasure Over RJDs Claim, Accused Of Violation Of Alliance Religion – पूर्व कांग्रेस MP ने RJD के दावे पर नाराजगी जताई, गठबंधन धर्म के उल्लंघन का आरोप लगाया



ik542rh lalu yadav Former Congress MP Expressed Displeasure Over RJDs Claim, Accused Of Violation Of Alliance Religion - पूर्व कांग्रेस MP ने RJD के दावे पर नाराजगी जताई, गठबंधन धर्म के उल्लंघन का आरोप लगाया

निखिल कुमार ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का उल्लेख किया, जब राजद बिहार में कोई भी सीट नहीं सीट पाई, जबकि कांग्रेस ने एक सीट पर विजय हासिल की थी. उन्होंने कहा, ‘‘बेशक, गठबंधन धर्म का उल्लंघन किया जा रहा है. गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिए बिना उनके (राजद) द्वारा टिकट वितरित किए जा रहे हैं. यदि वे इस धारणा के तहत काम कर रहे हैं कि वे अधिक (सीट) जीत सकते हैं, तो उन्हें याद रखना चाहिए कि 2019 में उन्हें एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि हमने बिहार की एक सीट जीती थी.”

कुमार ने औरंगाबाद सीट से राजद द्वारा जनता दल (यूनाइटेड) से आए अभय कुशवाहा को पार्टी का टिकट दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की. कुमार के पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा औरंगाबाद से कई बार सांसद निर्वाचित हुए थे. उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीदवार स्थानीय भी नहीं है. औरंगाबाद के लोग यह भी नहीं जानते कि वह कौन है. इसलिए यह तर्क कि जीतने की योग्यता के कारक को ध्यान में रखा गया है, निराधार है.”

निखिल कुमार से पहले उनकी पत्नी दिवंगत श्यामा सिंह औरंगाबाद से सांसद रहीं. वह 2009 में इस सीट पर पराजित हुए. तब कांग्रेस को राजद ने धोखा दिया और दोनों दलों के एक-दूसरे के खिलाफ लडने से जदयू के सुशील कुमार सिंह बड़े अंतर से इस सीट को जीतने में सफल रहे. इसके बाद कुमार ने केरल और नागालैंड में राज्यपाल का कार्यभार संभाला. 2014 में पार्टी ने उन्हें फिर इस लोकसभा सीट से मैदान में उतारा लेकिन वह सुशील कुमार सिंह से 65,000 से अधिक वोटों के अंतर से हार गए.

वर्ष 2019 में महागठबंधन ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी नीत हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को यह सीट दे दी थी. मांझी अब भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ हैं. औरंगाबाद से भाजपा ने वर्ष 2019 में भी सुशील कुमार सिंह को उतारा और उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज कर अपनी हैट्रिक बनाई.

कुमार ने राजद को याद दिलाया, ‘‘हम 2019 में महागठबंधन का हिस्सा थे और उनके अलावा, हम ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने गठबंधन जारी रखा है. हमने नौ सीटों पर चुनाव लड़ा, एक पर जीत हासिल की. उन्होंने बहुत बड़ी संख्या में चुनाव लड़ा लेकिन शून्य पर जीत हासिल की. ऐसे में हमारे लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी का मतलब उस संख्या से कम सीट नहीं होगी, जिन पर हमने पिछली बार चुनाव लड़ा था.”

उन्होंने कहा, ‘‘अगर बिहार में गठबंधन टूट जाता है, तो उन्हें हमसे ज्यादा नुकसान होगा. मैं इसे पिछले आम चुनाव में दोनों पार्टियों के प्रदर्शन के आधार पर कह रहा हूं. मुझे उम्मीद है कि राजद के साथ उत्कृष्ट संबंधों के लिए जाने जाने वाले हमारे प्रदेश अध्यक्ष यह सुनिश्चित करेंगे कि कांग्रेस के हितों की रक्षा की जाए.

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह एक दशक पहले पार्टी में शामिल हुए थे. वह इससे पहले राजद में रहे और उसके कोटे से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की पहली सरकार में मंत्री भी रहे. हालांकि सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि उन्हें राजद द्वारा उम्मीदवारों को टिकट देने के बारे में ‘‘कोई जानकारी नहीं” है और महागठबंधन ‘‘एक या दो दिन में” अपनी सीट साझेदारी की घोषणा करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल आयकर विभाग द्वारा कांग्रेस के बैंक खातों को फ्रीज करने के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए बुलाई है. महज 14 लाख रुपये के कथित डिफॉल्ट के कारण हम आर्थिक रूप से अपंग हो गए हैं. यह केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की मदद के लिए किया जा रहा है.

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अब तक बिहार की लगभग आधा दर्जन सीटों पर उम्मीदवारों को अपनी पार्टी का टिकट दिया है, इनमें पहले चरण में होने वाले सभी चार सीटें शामिल हैं, जिनमें औरंगाबाद भी शामिल है.

 



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