Ganesh Stotra: विनायक चतुर्थी पर काम आएगा यह उपाय, गणेश स्तोत्र से दूर होगा हर संकट, जीवन में मिलेगी सुख-समृद्धि
हाइलाइट्स
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के बारे में नारद पुराण में वर्णन है.
गणेश स्तोत्र पाठ करने से जीवन के दुखों का अंत होगा.
आज आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी व्रत है. आज के दिन जब आप पूजा करें तो गणपति बप्पा को प्रसन्न करने के लिए गणेश स्तोत्र पाठ का एक आसान उपाय करें, इससे आपके जीवन के दुखों का अंत होगा. गणेश जी की कृपा से आने वाले संकट दूर होंगे. जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी. इस स्तोत्र का पूरा नाम संकटनाशन गणेश स्तोत्र है. यह संस्कृत में लिखा गया है. यदि आप संस्कृत नहीं पढ़ सकते हैं तो पूजा के समय गणपति का ध्यान करके इसे सुनें. इससे भी आपको लाभ होगा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं संकटनाशन गणेश स्तोत्र के बारे में.
नारद पुराण में है संकटनाशन गणेश स्तोत्र
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के बारे में नारद पुराण में वर्णन है. कहा जाता है कि एक बार नारद जी संकट में फंस गए थे. तब भगवान शिव से प्ररेणा लेकर नारद जी ने संकटनाशन गणेश स्तोत्र की रचना की. इसका पाठ करने से विघ्नहर्ता श्री गणेश जी ने उनके संकटों को दूर कर दिया. तब से संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ किया जाने लगा.
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कैसे करें संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ
आज प्रात: स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा करें. उनको लाल फूल, सिंदूर, अक्षत्, धूप, दीप, दूर्वा, हल्दी, पान, सुपारी, नारियल आदि अर्पित करें. उनको मोदक या लडृडू का भोग लगाएं. उसके बाद कम से कम 5 बार संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें. पाठ करते समय शुद्ध उच्चारण करें. इससे गणेश जी प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगे.
संकटनाशन गणेश स्तोत्र या श्रीगणेश स्तोत्रम्
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम्।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये॥1॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम्।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम्॥2॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम्॥3॥
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नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन्॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम्॥6॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥8॥
॥इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम्॥
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord ganapati
FIRST PUBLISHED : June 22, 2023, 02:30 IST