Gatka National Award: पलामू के रौशन कुमार ने किया कुछ ऐसा कि सरकार ने भी दिया तगड़ा इनाम


पलामू, झारखंड: प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती, बस उसे पहचानने और निखारने की जरूरत होती है. ऐसा ही कुछ पलामू जिले के पाटन प्रखंड के खरौंधा गांव के 14 वर्षीय रौशन कुमार के साथ हुआ. झारखंड राज्य सरकार ने खेल में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 75,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया है. रौशन ने नेशनल सीग मार्शल आर्ट्स में तीसरा स्थान हासिल कर यह सम्मान प्राप्त किया है, जिससे उनका और उनके परिवार का नाम गर्व से ऊंचा हो गया है.

आर्थिक चुनौतियों के बावजूद बड़ी सफलता
रौशन के पिता विनय मांझी गांव में कंपाउंडर का काम करते हैं, और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है. घर की मासिक आय केवल 10,000 रुपये है, जिससे पूरे परिवार का गुजारा चलता है. इसके बावजूद रौशन ने खेल के क्षेत्र में अपनी मेहनत और लगन से यह उपलब्धि हासिल की. रांची के शौर्य भवन JPI-1 डोरंडा में आयोजित खेल सम्मान समारोह में झारखंड के खेल मंत्री मिथलेश ठाकुर ने उन्हें 75 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया.

खेल में रुचि और सफल यात्रा
रौशन ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि शुरुआत में उनकी रुचि खेल में कम थी, लेकिन स्कूल में आयोजित एक गतका प्रतियोगिता ने उनका नजरिया बदल दिया. इस खेल में उनकी रुचि बढ़ी, और धीरे-धीरे वे इसमें बेहतर प्रदर्शन करते गए. नेशनल लेवल पर आयोजित गतका प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल करने के बाद उन्होंने अपने खेल करियर को गंभीरता से लिया. सप्ताह में दो दिन खेल की प्रैक्टिस करते हुए, उन्होंने 10 मेडल जीते हैं, जो जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं से मिले हैं.

परिवार और सपनों की उड़ान
रौशन के परिवार में मां-पिता के अलावा एक भाई और दो बहनें हैं, जो सभी पढ़ाई कर रहे हैं. वे घर में सबसे छोटे हैं और परिवार में खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले पहले सदस्य हैं. परिवार की वार्षिक आय लगभग 1 लाख रुपये है, जिससे घर की जरूरतें पूरी होती हैं. हालांकि, खेल में उनकी सफलता के बाद सरकार द्वारा मिले इस प्रोत्साहन से परिवार बेहद खुश है और उनमें नया उत्साह भर गया है.

रौशन का सपना है कि वह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें. उन्होंने बताया कि 10 साल बाद भारत में ओलंपिक आयोजित होने वाला है, और वे उसमें भाग लेकर मेडल जीतना चाहते हैं. उनके कोच सुमित वर्मन का इस सफर में बड़ा योगदान रहा है, जिन्होंने उन्हें हर कदम पर सहयोग दिया है. रौशन को विश्वास है कि अपने कोच के मार्गदर्शन में वे भविष्य में ओलंपिक में देश का नाम रौशन करेंगे.

पिता का सपना: रौशन करे देश का नाम रोशन
रौशन के पिता विनय मांझी ने कहा कि समाज में अभी भी खेल के प्रति जागरूकता की कमी है, जिससे माता-पिता अपने बच्चों को खेल में आगे बढ़ने से रोकते हैं. लेकिन आज के बच्चे खेल के क्षेत्र में भी बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “मेरा भी सपना है कि रौशन खेल के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करे, और हम उसके हर सपने को पूरा करने के लिए हमेशा उसका साथ देंगे.”

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