Ghaziabad divyang woman rekha struggle and success sa


गाजियाबाद: UP के गाजियाबाद की एक ऐसी दिव्यांग महिला हैं, जिनका जीवन संघर्ष और साहस की अद्भुत मिसाल है. महज 5 साल की उम्र में एक दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों पैर खो दिए. इस हादसे के बाद जीवन ने उन्हें कठिनाइयों का सामना कराया, लेकिन रेखा ने कभी हार नहीं मानी. उनका संघर्ष और आत्मविश्वास आज हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुका है.

परिवार ने छोड़ा साथ
अनाथाश्रम बना सहारा रेखा की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. जब वह बड़ी हुईं, तो उनके परिवार ने भी उनका साथ छोड़ दिया. उनके अस्तित्व को नजरअंदाज कर दिया गया और घर में उन्हें वो महत्व नहीं मिला, जिसकी वह हकदार थीं. ऐसे में, रेखा ने अपने परिवार को छोड़कर अनाथाश्रम में रहने का निर्णय लिया. वहां से उनके नए जीवन की शुरुआत हुई.

मेहनत से खुद को मजबूत बनाया, खोला ब्यूटी पार्लर
रेखा के लिए अनाथाश्रम में भी जिंदगी आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने न सिर्फ खुद को मजबूत बनाया, बल्कि एक ब्यूटी पार्लर खोलने का सपना भी साकार किया. आज वह अपने ब्यूटी पार्लर से आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं, और अपनी मेहनत से खुद के लिए एक घर भी बना चुकी हैं.

ब्यूटी पार्लर के जरिए आत्मनिर्भरता की मिसाल
बता दें कि रेखा का ब्यूटी पार्लर उनके लिए आय का साधन है, और यह उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपनी जिंदगी में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. रेखा इस काम से आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करती हैं. उनकी मेहनत, साहस और आत्मविश्वास ने उन्हें वह सब दिलाया, जो एक समय में उनके लिए असंभव लगता था.

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संघर्ष से मिली पहचान, दूसरों के लिए बनी प्रेरणा
रेखा की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो जिंदगी में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. उनका यह सफर बताता है कि अगर इंसान के पास मजबूत इच्छाशक्ति और खुद पर विश्वास हो, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती. गाजियाबाद की यह साहसी महिला आज उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो कभी हार मानने की सोचते हैं.

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