Govardhan Puja 2023, Date, Time And Shubh Muhurt: Why Krishna Lifted The Govardhan Hill, Krishna And Indra | Importance Of Annakut
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कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को क्यों उठाया था (Why Krishna lifted the mighty Govardhan hill)
गोकुल वासियों को इंद्र (Indra Dev) के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन जैसे विशाल पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था. इसी दिन से गोवर्धन पूजा का आरंभ हुआ और इस दिन गायों की भी विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते हैं.
साल 2023 में कब है गोवर्धन पर्व और इसका शुभ मुहूर्त (When is Govardhan puja? Date, Time and Shubh Muhurt)
इस साल यानी 2023 में गोवर्धन पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह बन रहा है. इस दिन सुबह की गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 14 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 35 मिनट तक का है. कैसे मनाते हैंंगोवर्धन का पर्व. तो इस दिन मंदिरों में खासतौर पर गाय के गोबर से विशाल पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण बनाकर खील बताशे से उनकी पूजा की जाती है.
शाम के समय भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन या 128 पकवानों का भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि लगातार बरसते पानी के बीच भगवान कृष्ण ने गांव को बचाने के लिए लगातार सात दिनों तक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाए रखे था. इस दौरान उन्होंने कुछ नहीं खाया पिया और इसीलिए जब बरसात बंद हुई तो गांव वालों ने उनको धन्यवाद के तौर पर तरह तरह के छप्पन भोग खिलाए.
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भगवान श्रीकृष्ण को लगता है छप्पन भोग यानी अन्नकूट (what is annakut and chappan bhog)
इस दिन मंदिरों और घरों में भगवान को फल, मिठाइयों और मेवा का भोग लगता है. भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार पकवान बनाकर भगवान को भोग लगाते हैं और इसके बाद प्रसाद बंटता है. अन्नकूट में मौसमी सब्जियां, चावल, मिठाई, दूध, मक्खन और पकवान सब शामिल होता है. अन्नकूट को बनाने के साथ साथ इस दिन कढ़ी चावल के साथ साथ ढेर सारी मौसमी सब्जियों को मिलाकर बनी सब्जी बनती है जो भगवान को भोग लगाने के बाद सबको बंटती है.
भगवान को क्यों लगाते हैं 56 भोग? क्या चढ़ाते हैं इसमें? | Significance Of Chappan Bhog, Why Does It Contain 56 Food Items?
कहा जाता है कि छप्पन भोग का महत्व इसलिए हैं क्योंकि मां यशोदा भगवान कृष्ण को एक दिन में आठ बार खाना खिलाती थीं और उन्होंने जब सात दिन भूखे रहकर गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा तो गांव वासियों ने सात दिन का भोजन उनके लिए छप्पन भोग के रूप में तैयार किया.
क्या क्या होता है छप्पन भोग में
भगवान कृष्ण को लगने वाले छप्पन भोग में वह छप्पन आहार होते हैं जो उनको प्रिय हैं. यह छप्पन आहार हैं-
1. भक्त (भात),
2. सूप (दाल),
3. प्रलेह (चटनी),
4. सदिका (कढ़ी),
5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी),
6. सिखरिणी (सिखरन),
7. अवलेह (शरबत),
8. बालका (बाटी),
9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),
10. त्रिकोण (शर्करा युक्त),
11. बटक (बड़ा),
12. मधु शीर्षक (मठरी),
13. फेणिका (फेनी),
14. परिष्टश्च (पूरी),
15. शतपत्र (खजला),
16. सधिद्रक (घेवर),
17. चक्राम (मालपुआ),
18. चिल्डिका (चोला),
19. सुधाकुंडलिका (जलेबी),
20. धृतपूर (मेसू),
21. वायुपूर (रसगुल्ला),
22. चन्द्रकला (पगी हुई),
23. दधि (महारायता),
24. स्थूली (थूली),
25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी),
26. खंड मंडल (खुरमा),
27. गोधूम (दलिया),
28. परिखा,
29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त),
30. दधिरूप (बिलसारू),
31. मोदक (लड्डू),
32. शाक (साग),
33. सौधान (अधानौ अचार),
34. मंडका (मोठ),
35. पायस (खीर),
36. दधि (दही),
37. गोघृत (गाय का घी),
38. हैयंगपीनम (मक्खन),
39. मंडूरी (मलाई),
40. कूपिका (रबड़ी),
41. पर्पट (पापड़),
42. शक्तिका (सीरा),
43. लसिका (लस्सी),
44. सुवत,
45. संघाय (मोहन),
46. सुफला (सुपारी),
47. सिता (इलायची),
48. फल,
49. तांबूल,
50. मोहन भोग,
51. लवण,
52. कषाय,
53. मधुर,
54. तिक्त,
55. कटु,
56. अम्ल.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)