Government has closed the Minority Scholarship Scheme know the reason


केंद्रीय अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक वित्तीय सहायता योजना है, जो अल्पसंख्यक समुदायों जैसे मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन के छात्रों की आर्थिक सहायता के लिए चलाई जाती थी. इससे अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को शिक्षा जारी रखने में मदद मिल रही थी. आपको बता दें कि इस योजना को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs) संचालित कर रहा था. लेकिन अब सरकार ने इस योजना को बंद करने का फैसला लिया है. हालांकि यह योजना अघोषित तौर पर बंद हुई है. क्योंकि सरकार की ओर से योजना के लिए जो बजट दिया गया है, उससे केवल सरकार का पिछला बकाया उतरेगा.

सरकार ने अघोषित रूप से बंद की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना

बताते चलें कि इस योजना के लिए बजट में पर्याप्त राशि जारी नहीं की गई है. बजट के दौरान पूरे देशभर के छात्रों के लिए केवल 635 करोड़ ही दिए गए हैं जो किसी भी लिहाज से काफी नहीं है. हालांकि दावा किया जा रहा है कि दो साल से इस योजना के लिए कोई आवेदन भी नहीं आया था. योजना में गड़बड़ियां सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने साल 2022-23 में इसकी जांच कराने के आदेश दिए थे. जिसके बाद साल 2023-24 और 2024-25 में आवेदन ही नहीं लिए गए. इसके अलावा पिछले दो सालों से योजना का बजट भी लगातार सरकार घटा रही थी.

सरकार ने 9वीं और 10वीं के छात्रों के लिए 198.70 करोड़, 12वीं कक्षा के लिए 413 करोड़ और तकनीकी, व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के लिए महज 7.34 करोड़ दिए हैं. अल्पसंख्यक विभाग का कहना है कि बजट में दी गई इस राशि से तो केवल साल 2022-23 का बकाया ही दिया जा सकता है, इस साल देने के लिए विभाग के पास कुछ भी इंतजाम नहीं है.

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साल 2021-22 में अकेले यूपी को मिला था 442 करोड़ रुपये का बजट

आपको बताते चलें कि एक वक्त था जब सरकार एक राज्य के लिए ही साढ़े तार सौ करोड़ रुपये तक बजट में देती थी. बात करें अलग उत्तर प्रदेश की तो अकेले उत्तर प्रदेश को ही साल 2021-22 में 442 करोड़ रुपये दिए गए थे. वहीं व्यवसायिक और तकनीकी विषय के छात्रों के लिए 30 करोड़ से ज्यादा रुपये सरकार लेकर आई थी. लेकिन इस बार यह बजट केवल 7 करोड़ रुपये का रह गया है.

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