Ground Report : बूंदी में लगातार घटता जा रहा पर्यटकों का ग्राफ, क्या है इसकी वजह?


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Bundi city Tourism : राजस्थान में बूंदी जिले की नदियां और झीलें भी पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती हैं लेकिन हाड़ौती क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों के बीच में बसा यह शहर कोरोना काल के बाद से ही पर्यटकों की कमी स…और पढ़ें

Ground Report : बूंदी में लगातार घटता जा रहा पर्यटकों का ग्राफ, क्या है वजह?

छोटीकाशी के नाम से मशहूर बूंदी में लगातार घटता जा रहा पर्यटकों का ग्राफ…..

बूंदी. राजस्थान में आपको कई ऐसी जगह देखने को मिल जाएंगी, अपनी खास खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं. उन्हीं में से एक है बूंदी जिला जिसकी नदियां और झीलें भी पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती हैं. अगर आप जयपुर, जैसलमेर या फिर राजस्थान के अन्य शहरों को घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो बूंदी को भी अपनी लिस्ट में एक बार जरूर शामिल करें. जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे बड़े शहर वैश्विक स्‍तर पर पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं. बावजूद पर्यटन की असीम संभावना लिए हैं उनमें शामिल है बूंदी जिसका दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर राजस्थान का कोई सानी नहीं है. हाड़ौती क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों के बीच में बसा बूंदी कोरोना काल के बाद से ही पर्यटकों की कमी से जूझ रहा है. पेश है लोक संस्‍कृति, विरासत, चित्रकला शैली के साथ ही वीरों के बलिदान और मातृभूमि की रक्षा के बेमिसाल जज्‍बे से उपजी अमिट कथाओं के बावजूद पर्यटकों को तरसते बूंदी पर एक रिपोर्ट:

बूंदी शहर की स्थापना 24 जून 1242 को बम्बावदा के युवराज राव देवसिंह देवा हाड़ा ने की थी. प्राचीन समय में बूंदी बृन्दावती के नाम से जाना जाता था. अरावली की हरी भरी पहाड़ियों से घिरे बूंदी को जलाशयों एवं बावड़ियों का शहर, हाड़ोती का हृदय स्थल और तकरीबन हर मोड़ पर कोई न कोई मंदिर होने से इसे छोटी काशी भी कहा जाता है. बूंदी अपनी रंग बिरंगी संस्कृति किला, चित्रशाला, महल, हवेलियां, बावड़ियां, टाइगर रिजर्व, मंदिर, देवालयों के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध हैं.

बूंदी की स्थापत्य कला अपने आप में अनूठी
अपने गौरवशाली इतिहास, अद्वितीय स्थापत्य कला और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए विख्यात है. यह स्थान न केवल राजस्थान के पर्यटन मानचित्र पर एक खास जगह रखता है, बल्कि भारतीय स्थापत्य और कला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. बूंदी का नाम आते ही इसके किले, बावड़ियों, महलों और चित्रशालाओं की भव्यता सामने आ जाती है. हर कोना राजपूत शौर्य और सांस्कृतिक उत्कृष्टता का प्रतीक होने से बूंदी की स्थापत्य कला अपने आप में अनूठी है.

कजली तीज बूंदी का सबसे प्रमुख त्योहार
बूंदी की बावड़ियां (सीढ़ीदार कुएं) स्थापत्य कला के बेजोड़ उदाहरण हैं जिसमें रानी जी की बावड़ी बूंदी की सबसे प्रसिद्ध बावड़ी है, जिसे ‘क्वींस स्टेपवेल’ के नाम से भी जाना जाता है. इसकी दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी और मूर्तियां जल संरक्षण की प्राचीन भारतीय तकनीकों का उत्कृष्ट नमूना है. इसके अलावा तारागढ़ किला बूंदी का सबसे प्राचीन और भव्य किला है जिसे ‘स्टार फोर्ट’ भी कहा जाता है जिसकी विशाल दीवारें और झरोखे राजपूत स्थापत्य की शान को प्रदर्शित करते हैं. सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं से गहरा नाता वाली बूंदी के त्योहार, लोकगीत और नृत्य राजस्थान की विविधता को दर्शाते हैं. कजली तीज बूंदी का सबसे प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर झांकियां निकाली जाती हैं और पारंपरिक लोकनृत्य एवं संगीत की धुन पर लोग झूमते हैं. यहां के स्थानीय शिल्प और कला कारीगरी भी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं जिसमें मिट्टी की मूर्तियां, लकड़ी के हस्तशिल्प और पारंपरिक परिधान पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध हैं.

पर्यटन को नहीं मिल पाई पहचान
छोटी काशी के नाम से विख्यात बूंदी शहर में भव्य किले, महल, मंदिर और समृद्ध ऐतिहासिक सम्पदा होने के बाद भी यहां के पर्यटन को पहचान नहीं मिल पाई है. कोरोना काल के पूर्व हर वर्ष दस हजार से अधिक विदेशी पर्यटक बूंदी आते थे, लेकिन तब से यहां का पर्यटन उभर नहीं पाया. पर्यटकों का ग्राफ दस हजार से नीचे आ गया. पर्यटकों का ग्राफ बढ़ाने के लिए यहां बूंदी महोत्सव शुरू किये जाने से वर्ष 2007 से 2019 तक पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने से सर्वाधिक पर्यटक 2011 में सत्रह हजार सैलानी आए थे. बाद से ही पर्यटकों का ग्राफ निरन्तर गिरता जा रहा है. वैसे तो बूंदी भ्रमण पर यूनाइटेड किंगडम, फांस, इटली, अमेरिका, जर्मनी के विदेशी पर्यटक आते हैं. सबसे ज्यादा प्रतिशत फांस के पर्यटकों का रहा है.

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