Ground Report: जिंदा जलाया जा रहा था, लोग चीख-चिल्ला रहे थे… संभल दंगे की कहानी, पीड़ितों की जुबानी
संभलः साल 1978, अचानक से हर तरफ लोगों की चीत्कार, आसमान में धुओं का गुब्बार, सड़कों पर ढेला-पत्थरों का अंबार, ये नजारा था संभल जिले का. इस दंगे को हुए 46 साल बीत चुके हैं, लेकिन जिनपर ये दंगा बीता है, वो आज भी इसको याद कर सिहर जाते हैं. जहां केवल हिंदू रहते थे, अब वहां कोई नहीं है. आलम यह था कि लोग घरों में ताले लगाकर चले गए. यहां तक की घर में बने मंदिर पर भी ताला जड़ गया. हालांकि मंदिर को लेकर अलग-अलग दावे हैं, ऐसे में कुछ भी कहना सही नहीं होगा. लेकिन 1978 के दंगे की कहानी के बारे में पीड़ित जब भी बताते हैं, आंखें छलछला जाती हैं.
घर में मिला वर्षों पुराना मंदिर
संभल में जामा मस्जिद सर्वे के बीच एक नए मामले ने पूरी लाइमलाइट ले ली है, जहां बिजली चेकिंग के दौरान घर में मंदिर मिला. पता चला कई वर्षों से इस मंदिर पर ताला जड़ा हुआ था. प्रशासन ने मंदिर की साफ-सफाई करवाई और फिर पूजा-अर्चना शुरू हुई. मंदिर भोलेनाथ का है. लोगों ने मंदिर का नामकरण भी कर दिया है. मंदिर का नाम संभलेश्वर मंदिर रखा गया है. मंदिर के खुलते ही लोग लगातार दर्शन करने आ रहे हैं. यह मंदिर शाही जामा मस्जिद से महज दो किलोमीटर की दूरी पर है.
विष्णु शरण रस्तोगी ने बताई दंगे की कहानी
संभल में खग्गू सराय के रहने वाले विष्णु शरण रस्तोगी कई साल बाद मंदिर पहुंचे हैं, जिन्होंने मंदिर में पूजा की उन्होंने बताया कि ये मंदिर उनके कुल का है. विष्णु शरण रस्तोगी का कहना है 1978 के दंगों में हिंदू परिवारों को टारगेट किया गया. हिंदुओं की दुकान और घर जला दिए गए. लोगों को जिंदा जलाया गया. इसके बाद खग्गू सराय इलाके में दहशत का माहौल हो गया था और उसके बाद हिंदू परिवार डर और दहशत से बचने के लिए इस इलाके में अपने मकान को सस्ते दामों में बेचकर चले गए. वहीं मंदिर के आसपास बने अवैध निर्माण को लेकर उन्होंने कहा कि इसे प्रशासन को हटाना चाहिए और परिक्रमा मार्ग खुलने चाहिए.
चौराहे पर हुआ था दंगा
स्थानीय लोगों ने बताया, ‘यहां पर कई लोग रहा करते थे, उनका आना जाना था. 1978 में दंगा कैसे हुआ. वह हमें नहीं पता था, हम उधर रोडवेज के पास थे. दंगा यहां कहीं चौराहे पर हुआ था. उन दिनों 30 से 40 घर थे सब हिंदुओं के. घर थे इधर-उधर और आगे भी सब तरफ हिंदुओं के घर थे. इस जगह पर पीपल का पेड़ था (कुआं के पास बताया था) एक धर्मशाला भी यहां पर थी, जो पीछे की तरफ थी, जो शादी विवाह के काम आती थी. उसमें हिंदू ही काम करते थे दूसरों के लिए नहीं थी. फिर वह लोग उसे बेच कर चले गए.’
80 से 100 लोग मारे गए थे!
इसके अलावा उन्होंने बताया, ‘ऐसा हमने सुना था अब क्या पता बेच गए या फिर कब्जा कर लिया मुसलमान ने. जब दंगा हुआ था तो उसे वक्त हमने सुना था कि 80 या 100 के आसपास लोगों की मारे गए थे. आग लगा दी गई थी. हमने तो देखा नहीं था. इसी गली में 40 परिवार रहते थे. वह सब बेचकर डरकर चले गए. कोहिनूर का अकाउंट में चला गया, कोई मोहल्ला कोर्ट में चला गया, कोई मोहल्ला देर में चला गया अब पता नहीं कौन कहां रहता है. पहले अगर मंदिर खुला होता तो पूजा करने सब आते जब मंदिर में यहां कोई रहता ही नहीं था तो कैसे करते हैं.
पहले इसी मंदिर में होती थी पूजा
इसके अलावा एक शख्स ने बताया, ‘खग्गू सराय में रहने वाले मुकेश कुमार ने बताया था तो हम लोगों ने पलायन शुरू कर दिया. मेरी उम्र 65 साल के आसपास है, जब हिंदुओं को मारा काटा और जलाया गया था. यहां पर रोज सुबह शाम आरती होती थी. यहां पर सब हिंदू परिवार रहते थे. कोई गुप्ता थे, कोई रस्तोगी थे, कोई अग्रवाल थे. मंदिर के आसपास एक कुआं था और एक पीपल का पेड़ था जो काफी पुराना था पीपल के पेड़ की पूजा की जाती थी मंदिर खुला रहता था लेकिन धीरे-धीरे सब लोग चले गए तो इसको पूरा ही बंद कर दिया गया है. मंदिर के चारों तरफ बाउंड्री वॉल खींचा गया था पत्थर की तीन फीट के आसपास की बाउंड्री वॉल थी और गोलाई के हिसाब से मंदिर बना हुआ था.’
Tags: Ground Report, Sambhal News
FIRST PUBLISHED : December 17, 2024, 12:19 IST