Ground Report : हकीकत या फसाना! क्या नामुमकिन है नैनीताल की झील की गहराई नापना?


नैनीताल: अक्सर सोशल मीडिया पर यह देखने-सुनने को मिलता है कि नैनी झील की गहराई आज तक कोई नाप नहीं सका है. कई लोगों ने नापने की कोशिश की, तो वे डूब गए. लेकिन सोशल मीडिया पर कही गई हर बात सच नहीं होती हालांकि कई लोग इन बातों पर विश्वास कर लेते हैं. नैनी झील की गहराई, जल की गुणवत्ता और आंतरिक स्थिति का सटीक आंकड़ा मिला तो कई जानकारियां सामने आईं. झील का वैज्ञानिक विधि से सर्वेक्षण कर आंतरिक डेटा जुटाया गया है. सर्वेक्षण के बाद झील की अधिकतम गहराई 27.15 मीटर जबकि न्यूनतम 4 मीटर दर्ज की गई है.

नैनीताल स्थित सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीडी सती ने लोकल18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि साल 2019 में देहरादून के वैज्ञानिकों के द्वारा नैनी झील का बैथोमैट्रिक विश्लेषण किया गया था. जिसमें झील की गहराई, पानी की गुणवत्ता को मापा गया था. वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण के लिए कई नमूने लिए गए थे. और कई बिंदुओं पर झील की गहराई भी नापी गई थी. वहीं आंकड़े आज तक चले आ रहे हैं.

इस जगह पर है झील सबसे ज्यादा गहरी
डीडी सती ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर झील के 4 प्वाइंट सर्वाधिक गहरे हैं, जिसमें पाषाण देवी मंदिर के समीप सर्वाधिक गहराई 27.15 मीटर है. इसके अलावा झील की कुल गहराई 17.76 मीटर है. उन्होंने बताया कि झील को रिचार्ज करने वाले नालों की सफाई भी समय-समय पर सिंचाई विभाग द्वारा की जाती है. इसके अलावा नैनीताल नगर पालिका द्वारा भी झील की सफाई की जाती है.

जनहित याचिका के बाद बदली झील की तस्वीर
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं कि आजादी से पहले और बाद में नैनीताल में हो रहे निर्माण के बाद सारा मलवा झील में डाल दिया जाता था. जिस वजह से झील की गहराई में कमी आने लगी और इसका पारिस्थितिकीय तंत्र भी बिगड़ने लगा. लेकिन साल 1995 की जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने झील के अस्तित्व बचाने को लेकर फैसला सुनाया जिसके बाद झील में एरिएशन, सिल्ट निकालना जैसे प्रोग्राम शुरू किए गए. जिसके बाद झील की गहराई थोड़ी बढ़ गई. उन्होंने बताया कि वर्तमान में झील सर्वाधिक पाषाण देवी मंदिर के पास गहरी है. वहीं झील के भीतर चट्टानें होने से झील की गहराई नापना भी कठिन है.

भवन निर्माण से नैनीझील पर संकट
स्थानीय निवासी और नाव चालक समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने बताया कि नैनीझील नैनीताल वासियों के लिए वरदान है. वहीं नाव चालकों के लिए ये झील उनकी रोजी-रोटी है. उन्होंने बताया कि नैनीझील के आस पास के पहाड़ों में काफी भवनों का निर्माण हो गया है. वहीं लोगों द्वारा अपने घरों का कूड़ा भी नालों में डाला जाता है जो बहकर झील में आता है. और झील का पानी दूषित होता है. वहीं नैनीताल आने वाले पर्यटक भी नैनीझील में कूड़ा डालते हैं. जिससे नैनीझील का पारिस्थितिकीय तंत्र भी बिगड़ता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान मैं झील पाषाण देवी मंदिर के समीप सबसे ज्यादा गहरी है.

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