Gujarats Garba Dance Included In UNESCOs Intangible Cultural Heritage List – गुजरात का गरबा नृत्य यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल
पटेल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘गरबा के रूप में देवी मां की भक्ति की सदियों पुरानी परंपरा जीवित है और बढ़ रही है. गुजरात की पहचान बन चुके गरबा को यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची के तहत मंजूरी दी है.”
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह दुनिया भर में फैले गुजरातियों के लिए गौरव का क्षण है. यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की विरासत को महत्व दिए जाने और ऐसी विरासत को दुनिया भर में ले जाने का परिणाम है. गुजरात के लोगों को बधाई.”
मंगलवार को कसाने, बोत्सवाना में शुरू हुई अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सहेजने संबंधी 2003 की संधि के प्रावधानों के तहत इसे सूची में शामिल किया गया.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘गुजरात का गरबा नृत्य इस सूची में शामिल होने वाला भारत की 15वीं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है. यह उपलब्धि सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली एकीकृत शक्ति के रूप में गरबा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है.”
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘एक नृत्य शैली के रूप में गरबा परंपरा और श्रद्धा की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है, जिसमें सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं और यह समुदायों को एकजुट करने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रहा है.”
यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार गरबा एक ‘‘अनुष्ठानात्मक और भक्तिपूर्ण नृत्य” है जो नवरात्रि के त्योहार के अवसर पर किया जाता है, जो आदिशक्ति की पूजा के लिए समर्पित है.
यह नृत्य कलश के चारों ओर होता है, जिसमें लौ जलती है. इसके साथ ही देवी मां अम्बा की एक तस्वीर होती है. नर्तक गोल घेरे में लयबद्ध तरीके से ताली बजाते हुए नाचते हैं. भारत की परंपराओं या सांस्कृतिक आयोजन जैसे कि रामलीला, वैदिक मंत्रोच्चार, कुंभ मेला और दुर्गा पूजा को पहले ही यूनेस्को सूची में जगह मिल चुकी है.
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