Gwalior: परिवार के लिए छोड़ी नौकरी, फिर शुरू किया गोबर से अगरबत्ती का बिजनेस, अब 18 लाख का टर्नओवर


ग्वालियर: कॉर्पोरेट की दुनिया में काम करने वाले लोगों के मन में एक बार ही सही, लेकिन ये ख्याल जरूर आता होगा कि इस कॉर्पोरेट की दुनिया से निकलकर खुद का बिजनेस शुरू करें. लेकिन, फिर ईएमआई, घर के खर्चे माता-पिता की जिम्मेदारी और और तमाम चीजें, कदम वापस खींच लेने को मजबूर कर देते हैं. लेकिन ग्वालियर के रहने वाले एक दंपत्ति ने परिवार के लिए अपनी लाखों की जॉब छोड़ दी. मीनाक्षी नागर, जिन्होंने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर अपने ससुराल ग्वालियर में आकर गौ-सेवा शुरू की. इसके बाद, ससुर के कहने पर उन्होंने गोबर से अगरबत्ती बनाने का कारोबार शुरू किया. आज उनका सालाना टर्नओवर 18 लाख है.

कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़कर व्यापार क्यों शुरू किया?
मीनाक्षी नागर ग्वालियर की रहने वाली हैं. वे जयपुर में एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम करती थीं. उनके पति भी कॉर्पोरेट में नौकरी करते थे और दोनों दंपति का सालाना पैकेज लाखों रुपए था. लेकिन, एक दिन उन्हें अपने घर से फोन आया कि उनके ससुर की सेहत बहुत खराब है. इसलिए, दोनों दंपति ने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर वापस ग्वालियर आ गए. यहां आने के बाद, उन्होंने अपने ससुर का ख्याल रखा और उनका स्वास्थ्य ठीक हो गया.

दोबार नहीं मिली नौकरी
इसके बाद में उन्होंने नौकरी के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन उन्हें ग्वालियर में कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली. ऐसा इसलिए भी क्योंकि ग्वालियर में उद्योगों की स्थिति बहुत खराब है. यहां कोई बड़ी कंपनी नहीं है और बेरोजगारी अधिक है. इस वजह से जब उन्हें नौकरी नहीं मिली, तो उनके ससुर ने बताया कि किस प्रकार गौ-माता तीनों लोकों का उद्धार करती है और इस संसार को क्या-क्या प्रदान करती है. इस बात से प्रभावित होकर उन्होंने गोबर से अगरबत्ती बनाने का बिजनेस शुरू किया.

शुरू में आई कई समस्याएं लेकिन हार नहीं मानी
शुरुआत में मीनाक्षी नागर को अगरबत्ती बनाने में बड़ी समस्याएं आ रही थी. उन्हें इस बारे में नहीं पता था कि किस प्रकार प्राकृतिक अगरबत्ती को गोबर के माध्यम से बनाया जाए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने हर प्रकार की कोशिश की और प्रयास करते-करते उन्हें यह समझ आ गया कि आखिर किस प्रकार से एक प्राकृतिक उत्पाद बनाया जाए, जिससे हर ग्राहक को फायदा मिले. इसके बाद कई सालों तक वे अगरबत्ती बनाती रहीं. धीरे-धीरे उनका व्यवसाय चलने लगा और आज वे सफल उद्यमी के रूप में सामने आई हैं.

क्षेत्रीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर बनाना चाहती थीं
लोकल 18 से खास बातचीत में मीनाक्षी ने बताया कि शहर में उद्योगों की स्थिति कमजोर है. यहां कोई भी IT कंपनी नहीं है, जिस वजह से रोजगार नहीं है और बच्चों को अपने माता-पिता को छोड़कर दूसरे शहर जाना पड़ता है. लेकिन, मीनाक्षी ने बताया कि अगर आप प्रयास करें तो आप अपने शहर में रोजगार बना सकते हैं और अपने साथ-साथ और लोगों का भी भला कर सकते हैं. आज मीनाक्षी के कार्य से कई घर चल रहे हैं और वह कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं. इसके अलावा, वे गोबर से मूर्तियां बनाने का भी कार्य करती हैं, जो अपने आप में विशेष है.

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