Hasan Nasrallah: कौन है हसन नसरल्लाह, कैसे बना हिजबुल्लाह का नेता? पढ़िए पूरी कहानी


हाइलाइट्स

हसन नसरल्लाह ने 1992 में हिजबुल्लाह के प्रमुख का पद संभाला था.नसरल्लाह 2006 में इजरायल के साथ युद्ध के बाद से ही छिपा हुआ था.

नई दिल्ली: इजरायल ने शुक्रवार को हिजबुल्लाह के मुख्य हेडक्वार्टर पर हमला किया. इस हमले के बाद इजरायल की ओर से दावा किया जा रहा है कि हमले में हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह मारा गया है. हालांकि हिजबुल्लाह ने इजरायल के दावे को खारिज किया है. आइए इस खबर में जानते हैं हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह के बारे में. वह 16 वर्षीय बुद्धिमान और धार्मिक प्रवृत्ति वाला लड़का था, जिसने अब्बास अल-मुसावी की नज़रों में अपनी जगह बनाई, जो आगे चलकर हिजबुल्लाह का नेतृत्व करने लगा. बता दें कि यह इजरायल से लड़ने के लिए बनाया गया लेबनान आधारित संगठन था.

इजरायली सैन्य एजेंसियों को यह एहसास नहीं था कि नसरल्लाह, जो उस समय सिर्फ़ 32 साल का था, हिजबुल्लाह को मुसावी की कल्पना से भी ज़्यादा शक्तिशाली और खतरनाक संगठन में बदल देगा. उसके नेतृत्व में हिजबुल्लाह न सिर्फ मजबूत हुआ, बल्कि लेबनान की सरकार का हिस्सा भी बन गया. मिडिल ईस्ट सबसे शक्तिशाली खिलाड़ियों में से एक नसरल्लाह 2006 में इजरायल के साथ युद्ध के बाद से छिपकर रह रहा है. दुनिया ने एक शक्तिशाली वक्ता को ज्यादातर विशाल स्क्रीन पर भाषण देते हुए देखा है. 19 सितंबर को उसने अपना लेटेस्ट भाषण दिया, जिसमें उसने लेबनान में पेजर विस्फोटों को इजरायल द्वारा युद्ध की घोषणा बताया.

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पिता की थी सब्जी की दुकान
हिजबुल्लाह प्रमुख होना नसरल्लाह की एकमात्र पहचान नहीं है. नसरल्लाह का जन्म 1960 में बेरूत के एक गरीब इलाके में हुआ था जहां ईसाई अर्मेनियाई, ड्रूज़ और फिलिस्तीनी रहते थे. वह नौ भाई-बहनों में से एक था और उसके पिता की एक छोटी सी सब्ज़ी की दुकान थी. उसकी शादी फातिमा यासीन से हुई और उसके चार बच्चे हैं. हिजबुल्लाह का गठन जून 1982 में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) के हमलों के कारण लेबनान पर इजरायल के आक्रमण के जवाब में किया गया था. लेकिन मुसावी से हिजबुल्लाह की बागडोर संभालने से पहले, नसरल्लाह ने लेबनानी प्रतिरोध रेजिमेंट (अमल मूवमेंट) के रैंकों में अनुभव प्राप्त किया.

नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह में खुद को कैसे स्थापित किया
साल 1992 में हिजबुल्लाह की कमान संभालने के बाद से ही नसरल्लाह संगठन का चेहरा और प्रेरक शक्ति रहा है. अपनी शिया इस्लामवादी जड़ों के बावजूद, हिजबुल्लाह ने अन्य संप्रदायों के व्यक्तियों और समूहों के साथ गठबंधन बनाए हैं, जो लेबनानी राजनीति के प्रति इसके व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है. नसरल्लाह खुद एक रूढ़िवादी इस्लामवादी नेता नहीं है. उसने कभी भी महिलाओं के लिए इस्लामी बुर्का को बढ़ावा नहीं दिया.

एक चतुर राजनीतिक और सैन्य नेता, नसरल्लाह ने लेबनान की सीमाओं से परे हिजबुल्लाह के प्रभाव को बढ़ाया है. देश के बाहर, हिजबुल्लाह एक मिलिशिया की तरह काम करता है. हिजबुल्लाह ने 2011 में सीरिया में विद्रोह को दबाने में मदद की, जिसने राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन को ख़तरा पैदा कर दिया था. ईरान की मदद से नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह के भीतर नेतृत्व की चुनौतियों को भी हराया है. YNet न्यूज़ के अनुसार, 1997 में, पूर्व हिजबुल्लाह नेता शेख़ सुभी तुफ़ायली ने नसरल्लाह के ख़िलाफ़ विद्रोह का नेतृत्व किया, लेकिन नसरल्लाह के लोगों ने विद्रोहियों को निहत्था कर दिया.

इजरायल के साथ युद्ध के बाद नसरल्लाह बन गया हिरो
इजरायल के साथ युद्ध ने अरब जगत में नसरल्लाह की स्थिति को मजबूत किया है. उसके नेतृत्व में, हिजबुल्लाह ने 2000 में दक्षिणी लेबनान पर इजरायल के 30 साल के कब्जे को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई. 2006 में 34 दिनों के युद्ध के बाद इजरायल के खिलाफ “दिव्य जीत” की घोषणा करने के बाद वे मध्य पूर्वी देशों में हीरो बन गया. युद्ध के बाद, नसरल्लाह इजरायल की सीमा के करीब एक छोटे से शहर, बिंट जेबिल पहुंचा और अपने करियर के सबसे प्रमुख भाषणों में से एक दिया.

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