He Was Spying…, CM Nitish Kumar Accused Jitan Ram Manjhi – वो तो जासूसी कर रहे थे…, सीएम नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी पर लगाया आरोप
नई दिल्ली:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) पार्टी के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर जासूसी करने का आरोप लगाया है. सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि वो भारतीय जनता पार्टी (BJP) को फायदा पहुंचाने के लिए महागठबंधन के सहयोगियों की जासूसी कर रहे थे. ऐसे में महागठबंधन से उनका बाहर निकला अच्छी ही बात है.
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सीएम नीतीश कुमार ने स्वीकार किया कि पूर्व मुख्यमंत्री मांझी 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक का हिस्सा बनना चाहते थे, लेकिन उन्हें डर था कि मांझी द्वारा बैठक का विवरण भाजपा को लीक किया जा सकता है. नीतीश कुमार ने कहा कि मांझी भाजपा नेताओं के लगातार संपर्क में थे. उन्होंने हाल ही में कई भाजपा नेताओं से मुलाकात भी की थी. वह 23 जून को विपक्षी नेताओं की बैठक का हिस्सा बनना चाहते थे, लेकिन मुझे आशंका थी कि वह बैठक में होने वाली बातचीत को बाहर लीक कर सकते थे.
सोनबरसा विधानसभा सीट से जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक रत्नेश सदा के राज्य मंत्रिमंडल में शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए, मैंने उनसे हम (सेक्यूलर) का जद (यूनाइटेड) में विलय करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते, इस पर, मैंने उनसे महागठबंधन छोड़ने के लिए कहा. यह अच्छा है कि वह महागठबंधन छोड़कर चले गए.
बता दें कि सोनबरसा विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे रत्नेश सदा ‘मुसहर’ जाति से हैं, उन्हें राजभवन में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई गई है. जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष मांझी ने हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हुए कहा था कि नीतीश कुमार की जद (यू) द्वारा हम (सेक्यूलर) का उसके जद (यू) में विलय करने का प्रस्ताव देने के बाद मैंने पार्टी को बचाने के लिये मंत्री पद छोड़ दिया.
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी पार्टी ने मांझी को बहुत कुछ दिया है. उनकी पार्टी को जद (यू) के कोटे से राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री पद दिया गया था. इन सबके बावजूद… वह भाजपा नेताओं के संपर्क में थे. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव समय से पहले होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.इस बात की प्रबल संभावना है कि आम चुनाव अगले साल ना हों. ये पहले भी हो सकते हैं. इसलिए सभी विपक्षी दलों को आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए एक साथ आना चाहिए. हमें 23 जून की बैठक के बाद तैयारी शुरू करनी चाहिए.