Himachal Pradesh Natural Disasters In Himachal 71 People Died In 3 Days – Himachal Pradesh: हिमाचल में कुदरत का कहर, 3 दिनों में 71 लोगों की मौत


Himachal Pradesh: हिमाचल में कुदरत का कहर, 3 दिनों में 71 लोगों की मौत

सोलन में घर गिरने से एक ही परिवार के सात लोगों की मौत(प्रतीकात्‍मक फोटो)

शिमला:

हिमाचल प्रदेश में बारिश की आफ़त आई हुई है और पिछले दिनों राज्‍य में पहाड़ों के दरकने के दिल दहला देने वाले दृश्‍य सामने आए हैं. पिछले 2 दिनो से पहाडि़यों पर बने घर ताश के पत्तो की तरह ढह रहे हैं. दो-तीन मंजिला बने घरों पर बारिश और भूस्खलन आफत बनकर गिरे और उन घरों का नामोनिशान तक न रहा. पिछले 3 दिनों में हिमाचल में 71 लोगो की जान जा चुकी है. 7.5 हज़ार करोड़ का नुक़सान हुआ है. हालात ऐसे हैं कि नुक़सान का ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है. मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, राज्‍य में अगले कुछ दिनों तक बारिश होने की संभावना है.  

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बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को ‘पहाड़ जैसी चुनौती’

हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण पिछले तीन दिनों से हालात बेहद खराब हैं. 71 लोगों की जान जा चुकी है और 13 लोग अभी भी लापता हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को ‘पहाड़ जैसी चुनौती’ करार दिया है. हिमाचल प्रदेश के शिमला में समर हिल के समीप शिव मंदिर के मलबे से एक और महिला का शव बरामद होने के साथ ही बारिश से जुड़ी घटनाओं में जान गंवाने वाले 57 लोगों के शव अब तक बरामद हुए हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

मलबे से निकाले जा रहे शव

अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन और बाढ़ के कारण ढही इमारतों के मलबे से बुधवार को और शव निकाले जाने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़ गई. हिमाचल प्रदेश में रविवार से हो रही भारी बारिश के कारण शिमला के समर हिल, कृष्णा नगर और फागली इलाकों में भूस्खलन हुए थे. प्रमुख सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने कहा, “पिछले तीन दिनों में कम से कम 71 लोगों की मौत हो चुकी है और 13 अभी भी लापता हैं. रविवार रात से अब तक 57 शव बरामद किए जा चुके हैं.”

लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि उनके राज्य को इस मानसून में भारी बारिश के कारण बर्बाद हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक साल लगेगा और दावा किया कि लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, “यह एक बड़ी चुनौती है, एक पहाड़ जैसी चुनौती.” शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने कहा, “समर हिल और कृष्णा नगर इलाकों में बचाव अभियान चलाया जा रहा है और समर हिल से एक शव बरामद किया गया है.” उन्होंने बताया कि अभी तक समर हिल से 13 शव, फागली से पांच और कृष्णा नगर से दो शव बरामद किए गए हैं. शिव मंदिर में सोमवार को हुए भूस्खलन के मलबे में अब भी 10 और लोगों के दबे होने की आशंका है. कृष्णा नगर में करीब 15 मकानों को खाली कराया गया और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. कई अन्य लोगों ने मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन की आशंका से खुद अपने घर खाली कर दिए हैं.

राज्य में करीब 800 सड़कें अवरुद्ध

शिक्षा विभाग ने खराब मौसम के कारण बुधवार को राज्य में सभी स्कूल तथा कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त तक शैक्षणिक गतिविधियां निलंबित कर दी हैं. अधिकारियों ने बताया कि राज्य में करीब 800 सड़कें अवरुद्ध हैं और 24 जून को मानसून शुरू होने के बाद से अब तक 7,200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है. इससे पहले, जुलाई में मंडी, कुल्लू तथा शिमला समेत राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश से कई लोगों की मौत हो गयी थी और करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी. उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्र से हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा की घोषणा करने तथा राहत एवं क्षतिग्रस्त ढांचों की मरम्मत के काम के लिए 2,000 करोड़ रुपये की निधि जारी करने का अनुरोध किया है.

भूस्खलन से कालका-शिमला रेल लाइन को भी नुक़सान

इसरो के लैंडस्‍लाइड एटलस ऑफ इंडिया के अनुसार, हिमाचल के सभी 12 जिले भूस्खलन के शिकार होते रहे है. लेकिन 2020 से 2022 में इनकी संख्या 6 गुणा बढ़ गई है. साथ ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम भी लगातार जारी है.  हिमाचल प्रदेश में हुई ज़ोरदार बारिश और उसके कारण हुए भूस्खलन से कालका-शिमला रेल लाइन को भी नुक़सान पहुंचा है. ट्रैक के नीचे से मिट्टी बह गई है और ट्रैक का बड़ा  हिस्सा हवा में लटक रहा है. इसे ठीक करने में क़रीब 15 करोड़ का ख़र्च आएगा और 10 सितंबर से पहले ये मुमकिन नहीं हैं.

इधर हिमाचल प्रदेश के समर हिल इलाक़े में राहत और बचाव का काम अब भी जारी है. यहां से पिछले दो दिनों में 13 शव निकाले जा चुके हैं लेकिन कुछ और लोगों के दबे होने की आशंका है. सोमवार को भारी बारिश के कारण 100 साल से ज़्यादा पुराना शिव मंदिर ढह गया था.



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