Hindi News What Is Hasdev Aranya Movement And Where Is It Going On Why Is It Being Compared With Chipko Movement


छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य जंगल को काटे जाने का विरोध धीरे-धीरे तेज होता जा रहा है. तीन राज्यों की सीमा क्षेत्र में फैले हसदेव अरण्य जंगल को बचाने के लिए बुद्धिजीवी और पर्यावरण प्रेमी भी इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं. 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैले जंगल के नीचे कोयले का भंडार मिला है और केंद्र सरकार द्वारा जंगल की माइनिंग के लिए निलामी कर दी गई है. 

ऐसे में खदान की नीलामी होते ही खनन कंपनी ने अपना काम शुरु कर दिया है. वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि खदान के लिए पेड़ों की इतनी बली ले ली गई है कि पूरा इलाका एक जंगल से मैदान में तब्दील हो गया है. लगभग एक दशक से ये कटाई जारी है. कांग्रेस की सरकार में भी खदान का विरोध हुआ लेकिन पेड़ों की कटाई का काम नहीं रुका और अब ग्रामीणों का ये विरोध बीजेपी सरकार में जारी है.

क्या है हसदेव अरण्य आंदोलन
दरअसल हसदेव अरण्य क्षेत्र के नीचे कोयले का भंडार पाया गया है. जिसके चलते यहां परसा ईस्ट केते बासेन खदान बनाए जाने का निर्णय लिया गया है. 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में से 137 एकड़ जंगल के क्षेत्र के पेड़ों की कटाई हो चुकी है. ऐसे में ग्रामीण इस जंगल को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार यहां 9 लाख पेड़ों की कटाई की जानी है जिसके बाद 23 कोल ब्लॉक बनाए जाएंगे. 

पेड़ों की कटाई के विरोध में ग्रामीणों द्वारा 2 साल से ये आंदोलन किया जा रहा है. जिसकी तुलना पेड़ों को बचाने के लिए किए गए चिपको आंदोलन से की जा रही है. इस जंगल को बचाने के लिए ग्रामीणों द्वारा हर प्रयास किया जा रहा है. 

वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा साल 2021 में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, हसदेव अरण्य में गोंड, लोहार और ओरांव जैसी आदिवासी जातियों के 10 हजार लोग निवास करते हैं. इसके अलावा यहां 82 तरह के पक्षी, दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां हैं. जिनमें से 18 वनस्पतियां ऐसी हैं जो लुप्त होने की कगार पर हैं. साथ ही इस क्षेत्र में हसदेव नदी भी बहती है और हसदेव जंगल इसी नदी के कैचमेंट एरिया में स्थित है. इन्हीं वजहों के चलते इस जंगल को मध्य भारत का फेफड़ा भी कहा जाता है. ऐसे में यदि इस पूरे जंगल को काट दिया जाता है तो आने वाले समय में लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.



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