Hindu Population Dip Nearly 8 Percent Muslims Surge Says PM Economic Advisory Panel Research What Its Means – Explainer : लोकसभा चुनाव के बीच हिंदू-मुस्लिम आबादी वाली रिपोर्ट के क्या हैं सियासी मायने? एक्सपर्ट्स से समझें



jrmv5a population generic india Hindu Population Dip Nearly 8 Percent Muslims Surge Says PM Economic Advisory Panel Research What Its Means - Explainer : लोकसभा चुनाव के बीच हिंदू-मुस्लिम आबादी वाली रिपोर्ट के क्या हैं सियासी मायने? एक्सपर्ट्स से समझें

किसने तैयार की रिपोर्ट?

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM)ने रिलीजियस माइनॉरिटीज: अ क्रॉस-कंट्री एनालिसिस (1950-2015) रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले फैक्ट सामने रखे हैं. इस रिपोर्ट को इकोनॉमिस्ट शमिका रवि, अब्राहम जोस और अपूर्व कुमार मिश्रा ने तैयार किया है. ये सभी प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य हैं. 

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क्या कहती हैं EAC-PM की सदस्य?

NDTV ने इस रिपोर्ट को लेकर EAC-PM की सदस्य इकोनॉमिस्ट शमिका रवि से भी बात की. शमिका रवि कहती हैं, “ये रिपोर्ट क्रॉस कंट्री एनालिसिस है. मतलब दुनिया के 167 देशों के अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति क्या है? इस रिपोर्ट में इसी की डिटेल जानकारी है. 1950 से लेकर 2015 यानी 60 साल तक के डेटा का एनालिसिस किया गया है. इसके रिजल्ट बेहद चौंकाने वाले तो नहीं थे. भारत की अल्पसंख्यक आबादी को लेकर दिए गए फैक्ट्स बेशक चौंकाते हैं. भारत में अल्पसंख्यक आबादी में दो इजाफा हुआ है, उसका डेटा उन देशों के समान है; जहां उदार लोकतंत्र है. यानी ऐसे देश जहां अल्पसंख्यकों को भी अधिकार मिलते हैं. अल्पसंख्यक मामलों या नीतियों के तहत उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिलती है.”

शमिका रवि कहती हैं, “ये रिपोर्ट इसलिए भी खास हो जाती है, क्योंकि हमारे साउथ ईस्ट देशों को देखें, तो भारत का अनुभव काफी अलग रहा. बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में अल्पसंख्यक आबादी काफी कम हुई है. लेकिन भारत में अल्पसंख्यक आबादी बढ़ी है. यही मुख्य निष्कर्ष है.”

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इस रिपोर्ट को लेकर NDTV ने जनसंख्या विशेषज्ञ मनु गौड़ से खास बातचीत की. गौड़ कहते हैं, “इस रिपोर्ट में 167 देशों का धार्मिक आधार पर सर्वे है. इनमें 23 देश ऐसे हैं, जहां बहुसंख्यक आबादी कम हुई है. लेकिन इस रिपोर्ट में एक जानकारी का अभाव भी है. रिपोर्ट में कहा गया कि जिन 123 देशों में बहुसंख्यक आबादी कम हुई है, वहां पर अल्पसंख्यक आबादी बढ़ी है. लेकिन ये नहीं बताया गया कि ये किस समुदाय और किस धर्म विशेष से जुड़े लोगों के साथ हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, 44 देश ऐसे हैं, जहां पर बहुसंख्यक आबादी बढ़ी है और अल्पसंख्यक आबादी कम हुई है. इसमें भी हम देखें तो 44 देशों में से 25 देश मुस्लिम राष्ट्र हैं. इन 25 देशों में बहुसंख्यक आबादी बढ़ी और अल्पसंख्यक आबादी घटी है. शायद इसी वजह से भारत सरकार को CAA जैसे कानून लाने पड़े.”

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मनु गौड़ कहते हैं, “अगर हम आबादी के नजरिए से देखें, तो हमारे पास अभी जो आधिकारिक डेटा है वो 2011 के जनसंख्या के आंकड़े हैं. उसके बाद जनगणना नहीं हुई है. आधिकारिक डेटा के हिसाब से करीब 34 करोड़ विवाहित महिलाएं थीं. इनमें से 18 करोड़ महिलाएं ऐसी थीं, जिनके 2 या उससे कम बच्चे थे. करीब 16 करोड़ महिलाओं के 3 या उससे ज्यादा बच्चे थे. ऐसे में अगर हम फर्टिलिटी रेट की बात करें, तो ये आंकड़ों से साफ नहीं हो पा रहा.”

कंट्रोल आबादी वाले रहेंगे संसाधन युक्त

गौड़ कहते हैं, “देश के संसाधनों पर किस समुदाय का कितना शेयर है? इस सवाल को डिमांड और सप्लाई से समझा जा सकता है. अगर डिमांड और सप्लाई हमारे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रहेगी, तो बेरोजगारी, भूखमरी और प्रदूषण जैसी समस्याएं बढ़ती रहेंगी. मतलब जो समुदाय अपनी आबादी को नियंत्रित रखेंगे, वो संसाधन युक्त रहेंगे. वो सुखी परिवार की कैटेगरी में आएंगे. जो आबादी पर कंट्रोल नहीं रखेंगे, उन्हें तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.”

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मुस्लिमों की आबादी पर जीबी पंत सोशल साइंस इंस्टिट्यूट के डायेक्टर बद्री नायरण कहते हैं, “ये आंकड़ों अलग-अलग रिपोर्ट में आते रहे हैं. इन्हें EAC-PM ने अपनी रिपोर्ट में मर्ज किया है. आबादी और संसाधनों का अनुपात (रेशियो) बैलेंस होना चाहिए. जब आप समुदायों की बात करें, तो जैसे-जैसे कोई समुदाय शक्तिवान बनता जाता है, वैसे-वैसे संसाधनों में उनकी हिस्सेदारी बढ़ती जाती है. मेरी समझ से शक्तिवान होना, संख्या से तय नहीं होता. बल्कि उसके राजनीतिक मूल्यों से तय होता है. इतना जरूर है कि जब कोई डेटा किसी समुदाय विशेष के घटने और किसी समुदाय विशेष के बढ़ने को लेकर आता है, तो एक असमानता और भय की स्थिति बनती है. लेकिन इसका संसाधनों में हिस्सेदारी से उतना संबंध नहीं है, जितना कि राजनीति हिस्सेदारी से होता है.”

रिपोर्ट के खास पॉइंट

-सर्वे के मुताबिक, 1950 में मुस्लिम आबादी 9.84% थी, जो 2015 में बढ़कर 14.09% हो गई है. वहीं, इस दौरान हिंदुओं की आबादी 84.68% से घटकर 78.06% हो गई है. 

-रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार के बाद भारत में ही सबसे ज्यादा हिंदू आबादी कम हुई है. जबकि म्यांमार में भी हिंदुओं की आबादी 10% तक घटी है. 

-इसी तरह इन 6 दशकों में ईसाइयों की तादाद 2.24% से बढ़कर 2.36% हो गई है. जबकि सिख आबादी की हिस्सेदारी में भी इजाफा देखा गया. 

-सिखों की आबादी 1.24% से बढ़कर 1.85% हो गई है. बौद्ध आबादी में भी 0.05% से 0.81% की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

-सर्वे बताता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में, मालदीव को छोड़कर सभी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ी है. मालदीव में मुस्लिम आबादी 1.47% घटी है.

-रिपोर्ट में बताया गया है कि दक्षिण एशियाई देशों मसलन बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान और अफगानिस्तान में बहुसंख्यक आबादी बढ़ी है, लेकिन अल्पसंख्यक आबादी में गिरावट दर्ज की गई है.

-बांग्लादेश में बहुसंख्यक धार्मिक आबादी में 18% की बढ़ोतरी हुई. जबकि पाकिस्तान की बहुसंख्यक धार्मिक आबादी (हनफी मुस्लिम) में 3.75% का इजाफा हुआ.

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रिपोर्ट पर किसने क्या कहा?

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना है, “बीजेपी को हिंदू-मुस्लिम करने के बजाय चुनाव के समय असली मुद्दों पर बात करनी चाहिए. हमें उन मुद्दों पर बात करनी चाहिए, जो लोगों के जीवन से जुड़े हैं. बीजेपी अपने हिसाब से मुद्दे बनाती है.” जबकि, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसे वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट करार दिया. वहीं, बीजेपी के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए कहा, “कांग्रेस के भरोसे छोड़ दिया जाए, तो हिंदुओं के लिए कोई देश नहीं बचेगा.”

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के बाकी 4 फेज की वोटिंग में हिंदू-मुस्लिम आबादी का मुद्दा बड़े जोर-शोर से उठेगा. इसके सियासी नफा-नुकसान का आकलन भी किया जाने लगा है. दूसरी ओर, कुछ राजनीतिक जानकारों ने रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं. उनका तर्क है कि जब 2011 के बाद की जनगणना नहीं हुई है, तो इस सर्वे के आंकड़े कितने आधिकारिक हैं, इसे लेकर सरकार को अपना रुख साफ करना चाहिए.

 

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