Hiroshima atomic bomb What was the temperature after the bomb fell on Hiroshima


6 अगस्त 1945, ये तारीख दुनिया कभी नहीं भूल सकती. इस दिन दुनिया ने देखा कि इंसान के पास अगर शक्ति हो तो वह कितना क्रूर हो सकता है. दरअसल, इसी तारीख को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम से हमला किया था. ये बम इतना शक्तिशाली था कि जो लोग इसकी चपेट में आए, उनके हड्डियों की राख भी नहीं बच पाई. सब कुछ जैसे गायब हो गया. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

जापान के लिए काला दिन

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 6 अगस्त, 1945 को सुबह के सात बज रहे थे. अचानक जापानी रडारों पर दक्षिण की ओर से आते अमेरिकी विमान दिखे. इन विमानों को शहर की ओर आता देख चेतावनी के सायरन बजने लगे. पूरे जापान में चल रहे रेडियो कार्यक्रम रोक दिए गए. लेकिन जापान की स्थिति इतनी बदतर हो गई थी कि उसके पास मौजूद प्लेन्स में इतना पेट्रोल भी नहीं था कि वह उड़ कर इन अमेरिकी जहाजों को रोकने का प्रयास भी कर सकें. कुछ ही देर में ये विमान हिरोशिमा के सिर पर थे. इसके बाद जो हुआ इस शहर की बदहाली उसकी गवाही आज भी देती है.

नीला-सफेद एटम बम ‘लिटिल बॉय’

हिरोशिमा के ऊपर दो अमेरिकी विमान उड़ रहे थे. उनमें से एक विमान बी- 29 ‘एनोला गे’ को खुद अमरीकी वायु सेना के कर्नल पॉल टिबेट्स उड़ा रहे थे. 8 बज कर 9 मिनट पर टिबेट्स ने इंटरकॉम पर कहा, ‘अपने गॉगल्स लगा लीजिए और उन्हें अपने माथे पर रखिए. जैसे ही उल्टी गिनती शुरू हो, उनको अपनी आंखों पर लगा लीजिए और तब तक लगाए रखिए जब तक कि आपको नीचे जबरदस्त रोशनी न दिखाई दे.’

कुछ ही मिनटों में वो समय आ गया जब हिरोशिमा के ऊपर कहर बरसने वाला था. 8:13 पर ‘एनोला गे’ के बॉम्बार्डियर मेजर टॉमस फेरेबी के हेड फ़ोन पर कर्नल टिबेट्स का संदेश सुनाई दिया, ‘इट इज ऑल यॉर्स.’ इसके बाद उन्होंने इंटरकॉम पर कहा, ‘अपने गॉगल्स लगाइए.’

अब 8 बज कर 15 मिनट हो चुके थे. बॉम्बार्डियर मेजर टॉमस फेरेबी ने ‘एनोला गे’ से नाक के बल ‘लिटिल बॉय’ को हिरोशिमा के ऊपर गिरा दिया. ठीक 43 सेकेंड बाद ये बम हिरोशिमा की जमीन से टकराया और ऐसा फटा जैसे धरती से कोई बड़ा उल्कापिंड टकराया हो.

हड्डियों की राख भी नहीं बची

परमाणु बम लिटिल बॉय का लक्ष्य हिरोशिमा का अओई ब्रिज था. लेकिन तेज हवा की वजह से ये बम ब्रिज से 250 मीटर दूर शीमा सर्जिकल क्लीनिक के ऊपर गिरा. कहते हैं कि जब ये बम फटा तो वहां का तापमान अचानक से दस लाख सेंटीग्रेड तक पहुंच गया. ये तापमान इतना ज्यादा था कि जो इंसान इसकी चपेट में आए उनकी हड्डियों की राख भी नहीं बची. एक क्षण में इस बम ने 80 हजार लोगों को मौत की आग में झोंक दिया. उस दिन एक झटके में हिरोशिमा की 30 फीसदी आबादी साफ हो गई थी.

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