History of 9 November fall of the berlin wall and merger of junagadh in india 9th November is a very important day for history


History of 9 November: अगर हम इतिहास के हिसाब से देखते हैं, हर दिन का कोई न कोई अपना महत्व होता है. किसी दिन कोई त्योहार होता है, किसी दिन कोई स्पेशल डे तो किसी दिन का एक स्पेशल इतिहास होता है.चलिए आज हम आपको 9 नवंबर के इतिहास से रूबरू करवाते हैं.

इस दिन दुनिया में वैसे तो बहुत बड़े – बड़े काम हुए थे, लेकिन भारत और जर्मनी के लिए यह काफी इंपोर्टेंट है . चलिए जानते हैं क्यों और कैसे.

गिरी थी बर्लिन की दीवार
जर्मनी को दो हिस्सों में अलग करने वाली बर्लिन की दीवार को लोगों ने 9 नवंबर 1989 को गिरा दिया था. यह अपने आप में एक ऐतिहासिक पल था, जब जर्मनी में पूर्वी हिस्से के लोग और पश्चिमी हिस्से के लोग एक साथ आएं.इस दीवार का निर्माण 13 अगस्त 1961 को किया गया था. इसका निर्माण पूर्वी जर्मनी (जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक) द्वारा करवाया गया था. दीवार बनाने का उद्देश्य पूर्वी जर्मनी के लोगों को पश्चिमी जर्मनी (फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी) में जाने से रोकना था.

क्यों बनवाई गई थी दीवार
जब द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ और नाजी जर्मनी की सेना हार गई, उसके बाद जर्मनी को चार हिस्सों में बांट दिया गया था. पूर्वी जर्मनी सोवियत संघ के नियंत्रण में था, जबकि पश्चिमी जर्मनी को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के संरक्षण में रखा गया. पूर्वी जर्मनी में साम्यवादी सरकार थी, जबकि पश्चिमी जर्मनी में लोकतांत्रिक व्यवस्था थी. इस कारण इन दोनों हिस्सों में काफी मतभेद होने लगे. इस मतभेद में शीतयुद्ध ने भी अपना अहम रोल प्ले किया. 

स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि पूर्वी जर्मनी से लाखों लोग अच्छी जिंदगी और अवसर की तलाश में पश्चिमी जर्मनी वाले हिस्से में भाग गए, क्योंकि वहां आर्थिक अवसर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता अधिक थी. इसको रोकने के लिए पूर्वी जर्मनी द्वारा दीवार का निर्माण करवाया गया.

बर्लिन की दीवार लगभग 155 किलोमीटर लंबी थी और इसमें कंटीले तार, गार्ड टावर, खाइयां थीं. इसे इस तरह से बनवाया गया था कि इसको कोई पार न कर सके. अगर कोई पार करने की कोशिश करता भी है तो उसको गंभीर दंड या मौत का खतरा था.इस एक दीवार से जर्मनी के लोगों में 30 साल तक एक दूसरे के साथ संबंध लगभग खत्म हो गए थे, कई परिवार बिछड़ गए थे. इसको एक प्रकार से वैचारिक विभाजन का रूप माना जाता है जिसे उस समय आयरन कार्टन का नाम दिया गया.

कैसे गिरी दीवार 

बर्लिन की दीवार का गिरना साम्यवादी या अंग्रेजी के शब्दों में कहें तो कम्युनिस्ट शासन के लिए एक काला दिन था. जर्मनी के लोगों ने एकता का परिचय देते हुए इस दीवार को गिराकर एक जर्मनी का परिचय दिया.इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर देखने को मिला.जिस दिन यह दीवार गिरी उस दिन लोग कई सालों बाद एक दूसरे से गले मिल रहे थे. बीते कई सालों में कई नई पीढियों ने जन्म लिया जो एक दूसरे को जानती भी नहीं थी.  साल 1961 में बने इस दीवार को 9 नवंबर 1989 को गिराकर एक इतिहास बना दिया गया था.

हुआ कुछ ऐसा कि 9 नवंबर 1989 को पूर्वी जर्मनी की सरकार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें  कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव गुंटर शाबोव्स्की प्रेस को संबोधित कर रहे थे.उनसे एक सवाल पूछा गया कि कब से पूर्वी जर्मनी के लोग पश्चिम जर्मनी जा सकते हैं उन्होने कहा “अभी से “. फिर क्या था लोग पहुंच गए और इस अभेद्य दीवार में छेद करके गिरा दिया.

भारत के लिए क्या है ऐतिहासिक

ये तो हो गई जर्मनी की बात, अब चलिए जानते हैं कि भारत के लिए क्यों जरूरी है यह दिन
भारतीय इतिहास में भी 9 नवंबर के दिन का अपना एक इतिहास है. स्वतंत्रता के समय जूनागढ़ रियासत के नवाब ने जूनागढ़ का  पाकिस्तान के साथ विलय करने का निर्णय लिया था, जबकि इस क्षेत्र की अधिकांश जनता भारत में विलय चाहती थी. इसको लेकर 9 नवंबर 1947 को जनमत संग्रह करवाया गया उसमें 99 प्रतिशत से अधिक लोगों ने भारत में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया. इस तरह जूनागढ़ का विलय भारत में हुआ.

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