History of Halloween why do people celebrate Halloween by becoming ghosts


हैलोवीन एक ऐसा त्योहार है जिसमें इंसान, भूतों की तरह बन कर रात में सड़कों पर जश्न मनाने निकलते हैं. पहले ये त्योहार सिर्फ पश्चिमी देशों तक ही सीमित था. लेकिन अब भारत के मेट्रो सिटीज में भी इस त्योहार का क्रेज देखने को मिलने लगा है. खासतौर से स्कूली बच्चों में. चलिए आज जानते हैं कि आखिर ये त्योहार क्यों मनाया जाता है और हैलोवीन के दिन लोग भूत ही क्यों बनते हैं.

क्या है हैलोवीन का इतिहास   

हैलोवीन हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है. इसके इतिहास की बात करें तो ये पश्चिमी देशों की प्राचीन परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है. आपको बता दें, हैलोवीन का मूल नाम सैमहेन है, जो प्राचीन सेल्टिक जनजातियों के एक उत्सव से आया है. शुरुआती दौर में इस त्योहार को दो वजहों से मनाया जाता था. पहला फसल की कटाई का खत्म होना और दूसरा सर्दियों का आना.

भूतों का किरदार कैसे आया

अब आते हैं अपने असली सवाल पर कि आखिर हैलोवीन के त्योहार में लोग भूतों की तरह क्यों दिखना पसंद करते हैं. दरअसल, सैल्टिक लोग मानते थे कि इस त्योहार की रात आत्माएं धरती पर लौटती हैं और अपने फसल में अपने हिस्से की चाह रखती हैं. यही वजह है कि लोग इस दिन अपने घरों के बाहर कद्दू भी रखते हैं. इसके अलावा लोग इस अवसर पर आग जलाते थे और डरावने मुखौटे पहनते थे ताकि वे भूत-प्रेतों से बच सकें.

पूरी दुनिया में कैसे फैला ये त्योहार

ये बात 20वीं सदी के आसपास की है. इस सदी में हैलोवीन का क्रेज बढ़ने लगा था. खासतौर से अमेरिका जैसे देशों में इसे मनाने वालों की संख्या बढ़ने लगी. आपको बता दें अमेरिका में यह त्योहार आयरिश और स्कॉटिश आप्रवासियों द्वारा लाया गया था. लेकिन, धीरे-धीरे एक सामूहिक उत्सव में बदल गया. इस दिन को लोग एन्जॉय करने लगे. इस दिन जहां बड़े लोग भूत, प्रेत और अन्य डरावने किरदारों के रूप में सजते थे. वहीं बच्चे हैलोवीन की ट्रिक-या-ट्रीटिंग परंपरा के तहत भूतों की ड्रेस में आस पड़ोस के घरों में जा कर मिठाईयां मांगते थे.

भारत में अभी ट्रिक-या-ट्रीटिंग परंपरा तो नहीं शुरू हुई है. लेकिन यहां मेट्रो सिटीज के स्कूलों और कॉलेजों में हैलोवीन त्योहार मनाए जाने लगे हैं. खासतौर से उन स्कूलों या कॉलेजों में ईसाई ट्रस्ट द्वारा चलाए जाते हैं. दिल्ली, मुंबई, नोएडा और बेंगलुरु जैसे शहरों में आपको 31 अक्टूबर को ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो भूतों के किरदार में घूम रहे होंगे.

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