How do astronauts return from the moon without any rocket Know the science behind it


अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की तरफ से गए अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अभी भी स्पेस में फंसे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक इनकी वापसी अगले साल तक ही संभव है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी इस साल संभव नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब कोई अंतरिक्ष यात्री यहां से स्पेस के लिए जाता है, तो रॉकेट लॉन्च किया जाता है, लेकिन जब उसे वापस धरती पर आना होता है, तो वो बिना रॉकेट के कैसे आता है?. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.

अंतरिक्ष यात्री 

बता दें कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जून 2024 में बोइंग विमान में सवार होकर स्पेस स्टेशन पर पहुंचे थे. बोइंग स्टारलाइनर के कैप्सूल में खराबी आने की वजह से इनकी वापसी को टाल दिया गया था. वहीं नासा के प्रमुख बिल नेल्सन का कहना है कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को अब स्पेसएक्स के रॉकेट में सवार होकर पृथ्वी पर वापस लौटना होगा. उन्होंने बताया कि स्टारलाइनर के प्रपल्शन सिस्टम खराब हैं, ऐसे में इस यान से अंतरिक्ष यात्रियों का धरती पर लौटना काफी जोखिम भरा है.

स्पेस से कैसे वापस आते हैं यात्री

सबसे पहले ये जानते हैं कि भारत में कहां पर स्पेस के लिए रॉकेट लॉन्च किया जाता है. भारत में अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने के लिए दो लॉन्च पैड हैं. पहला केरल के तिरुवनंतपुरम में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन और दूसरा सतीश धवन स्पेस सेंटर है, जो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित है. 

बता दें कि चंद्रमा पर कोई स्पेस सेंटर अथवा स्पेसक्राफ्ट लॉन्चर नहीं होता है. स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने के लिए पूरी टीम तैयारी करती है. पहले उसे रॉकेट के साथ असेंबल किया जाता है, उसके बाद लॉन्चिंग पैड से लॉन्च किया जाता है. अब सवाल ये है कि चांद से धरती पर रॉकेट कैसे वापस आता है. बता दें कि कोई भी चीज पृथ्वी से अंतरिक्ष में तभी जा सकती है, जब वो पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर पाती है. विज्ञान के नियमों के मुताबिक कोई भी वस्तु पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण को तभी पार कर सकती है, जब उसका न्यूनतम वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है. इसीलिए स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाता है, जिससे यह सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर अंतरिक्ष में प्रवेश कर सकता है. 

चांद से धरती का सफर

पृथ्वी से चंद्रमा पर यान भेजने के लिए कई स्पेस सेंटर हैं, लेकिन चंद्रमा पर स्पेस सेंटर अभी तक नहीं बनाया गया है. वहीं अंतरिक्ष यान आसानी से पृथ्वी पर वापस लौट आता है. आपको अगर लगता है कि यह छत से जमीन पर कूदने जैसा होता है, तो आप गलत हैं. क्योंकि इसमें प्रकृति की प्राकृतिक तकनीक मदद करती है. यह पूरा खेल पलायन वेग पर आधारित है. पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है, जबकि चंद्रमा का पलायन वेग केवल 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड है. वहीं अंतरिक्ष यान में उपस्थित इंजन इतना प्रबल होता है कि स्पेसक्राफ्ट को आसानी से 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति तक पहुंचा सकता है और अंतरिक्ष यान को आसानी से पृथ्वी पर वापस लौटने में सहायता करता है. 

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