How much time does it take for a message to reach Earth from a space station or spaceship in space what is its system
धरती से अंतरिक्ष तक का सफ़र तो तय हो गया है, हालांकि अब भी समय-समय पर धरती और स्पेस में कई प्रयोग होते रहते हैं. वहीं इंसान द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे दूर भेजी गई चीज वॉयजर है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के इस अंतरिक्ष यान से महीनों बाद कोई संदेश आया है. इंसान द्वारा बनाया गया ये एक ऐसा यान है जो सबसे दूर भेजा गया है.
जिसकी दूरी ब्रम्हांड में पृथ्वी से लगभग 25 अरब किलोमीटर है. 14 नवंबर 2023 को वॉयजर ने मैसेज भेजना बंद कर दिया था. जिसके बाद नासा ने कहा कि अब अगला कदम यान को वैज्ञानिक डाटा भेजने लायक़ बनाना होगा. इन सब के बीच सवाल ये खड़ा होता हैं कि आख़िर अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन या स्पेसशिप से पृथ्वी पर मैसेज आने में लगभग कितना समय लगता होगा.
अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन या स्पेसशिप से पृथ्वी पर मैसेज आने में कितना लगता है वक्त
वॉयसर की बात करें तो धरती से उसे भेजे गए संदेश को जाने में 22.5 घंटे का समय लगता है. तो सवाल ये खड़ा होता है कि क्या अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन को मैसेज भेजने या वहां से कोई मैसेज रिसीव होने में भी इतना ही समय लगता है. तो जवाब है नहीं.
दरअसल एक सिग्नल 186,000 मील प्रति सेकंड (300,000 किमी/सेकंड) की गति से अंतरिक्ष में यात्रा करता है. एक सिग्नल फाइबर ऑप्टिक के माध्यम से लगभग 30% कम गति (130,200 मील प्रति सेकंड (210,000 किमी/सेकेंड)) पर यात्रा करता है, ये सब जोड़ने पर आपको न्यूनतम यात्रा समय 0.26 – 0.3 सेकंड के बीच मिलता है.
कैसे पहुंचता है मैसेज?
धारणा के अनुसार ये एक बहुत ही सरल इंटरफेस है. यदि देरी से मैसेज पहुंचने वाला कुछ टाइम छोड़ दिया जाए जब सिग्नल को अपने स्रोत (यानी माइक्रोफोन या थर्मामीटर जैसे किसी प्रकार का सेंसर) से प्रोसेसर तक जाना होता है. वहां से इसे केंद्रीय कंप्यूटर तक जाना होगा, जो 10 हर्ट्ज या 1 हर्ट्ज या 1/10 हर्ट्ज तक की पोलिंग कर सकता है. वहां से इसे बेसबैंड सिग्नल प्रोसेसर में जाना होता है जहां इसे फिर स्वरूपित किया जाता है और वहां से ट्रांसपोंडर तक और वहां से रेडियो उपकरण तक जहां इसे प्रसारित किया जाता है.
एक बार जमीन पर प्राप्त होने के बाद ये रेडियो उपकरण से फ्रंट एंड प्रोसेसर, एनआईएसएन राउटर से रिसीविंग एंड पर राउटर तक जाता है. जहां ये फ्रंट एंड लैन, फिर फ्रंट एंड प्रोसेसर, फिर सर्वर और अंत में वर्कस्टेशन तक जाता है. हर बार जब एक बॉक्स को उस जानकारी को संभालना होता है, तो छोटी–छोटी देरी होती है, दोनों उपकरण के माध्यम से आगे बढ़ने के कारण होती हैं, लेकिन बिट्स और मेमोरी एड्रेस से मैसेज बॉक्सकार्स में साइनसॉइडल वेव बैक से मैसेज बॉक्सकार वापस मेमोरी एड्रेस और बिट्स में रिफॉर्मेट करने के कारण भी होती है.
अंतिम परिणाम संचार समय में लगभग दस गुना अधिक देरी (2-3 सेकंड) पाई गई. राउंड ट्रिप के लिए (उदाहरण के लिए एक कमांड भेजना और प्रतिक्रिया प्राप्त करना) इसका मतलब है 3-6 सेकंड की देरी.
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