How to perform Pind Daan for ancestors without a Pandit know the method of offering tarpan to ancestors from Ujjain Pandit


शुभम मरमट / उज्जैन: हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का बड़ा महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होता है. आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर खत्म हो जाता है. इन 15 दिनों के दौरान लोग पितरों को याद कर उनके निमित्त तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. शास्त्रों में किसी पंडित द्वारा ही पिंडदान कराए जाने का विधान है.

यदि पंडित उपलब्ध न हो तो आप क्या करें?. इसके लिए भी शास्त्रों मे समाधान बताया गया है. भगवान सूर्य को जगत पंडित माना जाता है. यदि श्राद्ध कर्म के दौरान पंडित नहीं मिल पाते हैं तो आप सूर्य देव के सामने स्वयं खड़े होकर अपने पितरों का दान कर सकते हैं. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज इसकी पूजा-विधि जानते है.

  जानिए बिना पंडित कैसे करे पिंडदान
–  सूर्य देव को जगत पंडित कहा गया है. उनको सामने खडे होकर स्वयं पिंडदान करने के लिए नदी में खड़े होकर अपने हाथ में जौ, तिल, चावल लेकर अपने पितरों का नाम लेकर भगवान सूर्य को अर्पित कर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.

– जैसे कि पिंडदान मे पंडित कई बार क्रिया करता है. ऐसे ही यह प्रक्रिया आपको ग्यारह बार करनी पड़ेगी. इसके साथ ही कच्चा दूध, चावल के लड्डू, अदरक, सूखे आंवले और कच्ची सूत के धागे को जल में प्रवाहित करनी है. इसके बाद ही दीपदान, तिलक, अक्षत, नारियल, फूल और मिठाई भी चढ़ाएं.

जानिए इस दौरान कौनसे वस्त्र बताए गए है वर्जित
यह पूरी क्रिया जब भी करे तो यह जरूर ध्यान रखना चाहिए.  सिले हुए वस्त्र न पहने केवल साफ धोती ही पहन कर पिंडदान करना चाहिए. ऐसे पिंडदान करने से ही पूरी पितरो के समस्त दान-पुण्य या तर्पण जो भी करा हो सम्पूर्ण होता है. पितृ देव प्रसन्न होते है.

क्या करे जिससे मिले पितरो को शांति
– पशु-पक्षियों को भोजन कराएं. गरीबों और ब्राह्मणों को सामर्थ्य के अनुसार दान करें.
– घर में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य या नए कार्य का शुभारंभ श्राद्ध के दौरान नहीं करना चाहिए.
– पितृ स्तोत्र का पाठ करें. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं.

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