How Vajpayee conducted nuclear test while avoiding America eyes know the method
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100 वीं पुण्यतिथि है. अटल बिहारी वाजयेपी को देश एक सफर राजनेता के साथ भारत को परमाणु शक्ति देने के लिए भी याद करती है. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए देश ने पोखरण की भूमि पर 11 मई 1998 को परमाणु परीक्षण II का सफल परीक्षण किया था. उस वक्त पड़ोसी देश पाकिस्तान समेत अमेरिका तक की नजर भारत पर टिकी हुई थी. जानिए भारत ने कैसे किया परमाणु परीक्षण किया था.
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परमाणु परीक्षण
भारत के इतिहास में 11 मई का दिन बेहद खास है. क्योंकि इस दिन ही 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था. भारत में हर साल इस दिन नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाया जाता है. इस पर एक फिल्म भी नहीं है, जिसका नाम परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण है. इस फिल्म को देखकर समझ में आता है कि ये परीक्षण इतना आसान नहीं था.
अमेरिका के पास परमाणु बम
बता दें कि इस परीक्षण के साथ ही भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों में शामिल हो गया था. लेकिन अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों से बचते हुए इस परीक्षण को अंजाम देना इतना आसान नहीं था. इस परीक्षण का पूरा श्रेय उन तमाम इंजीनियर्स, सेना के अधिकारियों,वैज्ञानिकों के साथ भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पीएम के तत्कालीन मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है. जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति बनाया है.
पोखरण में हुआ था परमाणु परीक्षण
राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण हुआ था. बता दें कि पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास भारत ने तीन परमाणु परीक्षण किए थे. पोखरण में हुए इस परमाणु परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था.
अमेरिका को दिया चकमा
भारत ने जब दुनिया के सामने परमाणु शक्ति होने का ऐलान किया था, इसके बाद पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी, क्योंकि अमेरिका समेत किसी भी देश की खुफिया एजेंसी को इसकी भनक तक नहीं लगी थी. उस वक्त अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (सीआईए) भारत पर पल-पल नजर बनाकर रखती थी. इतना ही नहीं सीआईए ने भारत की कड़ी पहरेदारी करने के लिए करोड़ों खर्च करके सैटेलाइट लगाए थे. लेकिन इन सभी चुनौतियों के बावजूद भारत ने पोखरण की जमीन पर सफलतापूर्वक ऑपरेशन शक्ति को अंजाम दिया था.
पोखरण ही क्यों?
परीक्षण के दौरान अमेरिका को चकमा देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम समेत सभी इंजीनियर्स और वैज्ञानिकों ने सेना की यूनिफॉर्म पहनी थी। जिससे जब अमेरिका सैटेलाइट आता था, तो उन्हें लगता था कि ये भारतीय सेना के जवान हैं. इतना ही नहीं परीक्षण को सफल बनाने और अमेरिका को चकमा देने के लिए सैटेलाइट के पोखरण इलाके में आने पर सभी यंत्रों और मशीनरी को रेत और बोरे से ढक दिया जाता था, जिससे अमेरिका और पाकिस्तान को इसकी भनक नहीं लग पाई थी। इस दौरान सबका नाम और कोड अलग-अलग था. इतने संघर्षों के बाद भारत 11 मई के दोपहर बाद 3.45 मिनट पर परमाणु शक्ति वाला देश बना था.
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