ICMR Raised Questions On BHUs Study On Covaxin Vaccine Warned Professor – Covaxin टीके पर BHU की स्टडी पर ICMR ने उठाए सवाल, प्रोफेसर को दी चेतावनी, मांगा जवाब
नई दिल्ली:
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के रिसर्च में दावा किया गया है कि भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके ‘कोवैक्सीन’ लगवाने वाले लगभग एक-तिहाई व्यक्तियों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रोफेसर को चेतावनी दी है. स्टडी में शामिल दो प्रोफेसर से ICMR ने पूछा क्यों न आपके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कारवाई की जाए.बीएचयू के फार्माकोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर उपिंदर कौर और जियाट्रिक मेडिसिन के प्रमुख डॉक्टर सांखा सुभ्रा चक्रवर्ती से जवाब मांगा गया है.
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क्या है पूरा मामला?
भारत बायोटेक की तरफ से डेवलप्ड कोरोना की वैक्सीन “COVAXIN” को लेकर बीएचयू ने स्टडी की थी. बीएचयू की स्टडी को स्प्रिंगर नेचर ने छापा था, जिसमें Covaxin टीके से भी दिक्कत की बात निकलकर सामने आई थी. ये स्टडी 926 लोगों पर की गई थी जिसमें 50% लोगों ने टीके के बाद इन्फेक्शन की बात कही थी. इस स्टडी में 635 किशोर और 291 व्यस्क लोगों को शामिल किया गया था. इसमें टीके के बाद आई समस्याओं को AESI यानी adverse events of special interest के तौर पर बताया गया था.
ICMR ने ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को लिखा पत्र
आईसीएमआर ने न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को पत्र लिखा है कि वह बीएचयू के लेखकों द्वारा हाल ही में प्रकाशित कोवैक्सिन साइड इफेक्ट्स अध्ययन को वापस ले ले क्योंकि पेपर में शीर्ष अनुसंधान निकाय का नाम “गलत और भ्रामक रूप से” दिया गया है.शीर्ष अनुसंधान निकाय ने पत्र में लिखा, “आईसीएमआर इस अध्ययन से जुड़ा नहीं है और अनुसंधान के लिए कोई वित्तीय या तकनीकी सहायता प्रदान नहीं की है.”
डॉ. बहल ने लिखा, “हमने यह भी देखा है कि आपने बिना अनुमति के इसी तरह के पिछले पेपरों में भी आईसीएमआर का नाम दिया है.” उन्होंने अध्यन के लेखकों से स्पष्टीकरण भी मांगा कि “आईसीएमआर को उनके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए”.
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