if parents get divorce they will meet their child in hanuman mandir says lucknow high court – News18 हिंदी


अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ: राम भक्त हनुमान को सभी का संरक्षक कहा जाता है. ऐसा एक बार फिर साबित हो गया है क्योंकि हाई कोर्ट ने एक अनोखा आदेश जारी करके लखनऊ में चर्चा का विषय बना दिया है. हाई कोर्ट में तलाक का मुकदमा चल रहा है, जिसमें पति-पत्नी के बीच बच्चों से मिलने को लेकर विवाद था, कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि बच्चों से मुलाकात के लिए पति-पत्नी के घर न जाकर वह शहर में स्थिति हनुमान मंदिर पर जाकर मिलें.

जहां पर बच्चों की कस्टडी चाहे माता के हाथों में हो या फिर चाहे पिता के दोनों ही मंदिर परिसर में अपने बच्चों से मिल सकेंगे. बात कर सकेंगे और जितनी देर भी वो मंदिर में रहेंगे वो पूरी घटना मंदिर परिसर में लगे हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद होगी. इसके बाद मंदिर परिसर की ओर से यह सीसीटीवी फुटेज हाई कोर्ट को उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसा पहली बार हुआ है जब हाई कोर्ट की ओर से बच्चों से मुलाकात के लिए उनके माता-पिता को किसी का घर नहीं बल्कि मंदिर परिसर को चुना गया है. यही वजह है कि मामला लगातार चर्चा का विषय बन हुआ है.

इसलिए चुना गया मंदिर
मंदिर के सचिव राजेश पांडेय ने बताया कि जब माता-पिता का तलाक का मुकदमा कोर्ट में चल रहा होता है. ऐसे में अगर पत्नी पति पर आरोप लगाती है कि वह बच्चे से मिलने नहीं देते या पति पत्नी पर आरोप लगाता है कि जब वह मिलने जाते हैं तो दरवाजा नहीं खोला जाता है. ऐसे में कोर्ट की ओर से किसी तीसरे जगह को सुरक्षित मानते हुए बच्चों से मुलाकात का समय और दिन तय किया गया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार ऐसा मामला देखा है, जब हाई कोर्ट की ओर से बच्चे से मुलाकात के लिए माता-पिता को अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर के परिसर को चुना गया है. उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट की ओर से एक मामला यहां पर भेजा भी गया था, जिसमें लगभग दो से तीन घंटे यहां पर माता-पिता ने अपने बच्चों से बात की. मुलाकात की और इसका सीसीटीवी फुटेज हाई कोर्ट को सौंपा भी जा चुका है.

मिलने के ये होंगे नियम
सचिव राजेश पांडेय ने बताया कि इस दौरान माता-पिता को हाई कोर्ट की ओर से दिए गए नियमों का भी पालन करना होगा. जैसे बच्चे को कोई भी खाने पीने का सामान नहीं दिया जा सकता. बच्चों से जबरदस्ती किसी तरह की मारपीट या गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता. बच्चों को किताबें दी जा सकती है और कपड़े दिए जा सकते हैं, लेकिन इसके अलावा कोई भी सामान बच्चों को नहीं दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर की ओर से भी माता-पिता जब बच्चे से मिल रहे होंगे, तो कोई वहां खड़ा नहीं होगा बल्कि सिर्फ सीसीटीवी फुटेज से नजर रखी जाएगी. हाई कोर्ट की ओर से ऐसे मामलों में दिन और समय तक तय किया जाता है. उसी के मुताबिक माता-पिता को यहां पर आना होता है.

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