If We Attack In The Red Sea Now…… Countries Including America Warn Houthi Rebels – लाल सागर में अब हमला किया तो…: हूती विद्रोहियों को अमेरिका समेत 13 देशों की चेतावनी



1rba4li8 red If We Attack In The Red Sea Now...... Countries Including America Warn Houthi Rebels - लाल सागर में अब हमला किया तो...: हूती विद्रोहियों को अमेरिका समेत 13 देशों की चेतावनी

अमेरिका के अलावा, आस्ट्रेलिया, बेहरीन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड्स, न्यूज़ीलैंड, सिंगापुर और यूनाइडेट किंगडम ने एक साथ हूती विद्रोहियों के लिए चेतावनी जारी की है. इन देशों की तरफ से जारी चेतावनी इसलिए अहम है कि इससे पहले ये भी जानकारी आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन हूती के ठिकानों पर सीधे हमले की सोच रहे हैं. व्हाइट हाउस की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है हमारा संदेश साफ है और हूती विद्रोहियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

 ‘ये हमले तुरंत बंद हों…”

व्हाइट हाउस की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया था कि ये हमले तुरंत बंद हों और जिन जहाज़ों और चालक दल के सदस्यों को अवैध तरीके से कब्जे में लिया गया है उन्हें तुरंत छोड़ा जाए. बयान में आगे कहा गया है कि लाल सागर में हूथी के हमले अवैध और अस्वीकार्य हैं. नागरिक और मालवाहक जहाजों पर ड्रोन, छोटी नौकाओं और मिसाइलों के जरिए हमले इस समुद्री मार्ग पर जहाज़ों की आवाजाही की स्वतंत्रता पर हमला है.

लाल सागर क्यों अहम है?

दुनिया के समुद्री व्यापार का क़रीब 15 फ़ीसदी हिस्सा लाल सागर से होकर गुजरता है. इसी रास्ते से 8 फ़ीसदी अनाज का व्यापार होता है. 12 फीसदी कच्चा तेल और 8 फीसदी लिक्विफ़ाइड नैचुरल गैस भी इसी होकर गुजरता है. हमलों की वजह से कई जहाज़ कंपनियों ने केप ऑफ़ गुड होप का रास्ता लेना शुरु किया है. इससे जहाजों को पूरा अफ़्रीका घूम कर आना होता है. ये रास्ता क़रीब 4 हजार नॉटिकल माइल मतलब क़रीब साढ़े सात हज़ार किलोमीटर अधिक लंबा पड़ता है. इससे खाद्य, तेल, मानवीय मदद आदि सभी में हफ्तों की देरी होती है. 

जहाजों को क्यों निशाना बना रहे हैं हूती विद्रोही?

ज़ाहिर है इस रास्ते के बंद होने से माल ढुलाई का खर्च बढ़ जाता है. इसका सबका खामियाज़ा दुनिया पर पड़ना लाज़िमी है. इजराइल हमास जंग में इज़राइल के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाले हूती विद्रोही गुट यमन के अपने कब्जे वाले इलाकों से लाल सागर से गुजर रहे जहाज़ों को निशाना बना रहा है. एक जहाज पर को हेलिकाप्टर से उतारकर कब्ज़ा कर लिया. सैंकड़ों की तादाद में रॉकेट, ड्रोन और मिसाइल दाग़ चुका है. अलग अलग देश जा रहे कम से कम 25 जहाज़ इसकी जद में आए हैं. इनमें भारत आ रहा दो जहाज़ भी शामिल है.

 अमेरिका सहित कई देश ऑपरेशन प्रॉस्पिरिटी गार्डियन के तहत लाल सागर में युद्धपोत भेज कर जहाज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत इसका हिस्सा नहीं है. लेकिन भारत ने अरब सागर में अपने पोत भेजे हैं, क्योंकि भारत आ रहे जहाज़ पर अरब सागर में भी हमला हो चुका है.

दूसरा रास्ता लिया तो पड़ेगा लंबा और महंगा

हूती विद्रोहियों के हमलों की वजह से शिपिंग और तेल कंपनियों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. शिपिंग कंपनियों के साथ साथ बीपी जैसी तेल कंपनियों ने भी लाल सागर के रास्ते अपने तेल टैंकरों को भेजना फिलहाल रोक दिया है. माल ढुलाई वाले जहाजों और तेल टैंकरों को रोके जाने या फिर उन्हें दूसरे रास्ते से भेजने का मतलब ढुलाई में ज्य़ादा खर्च और आपूर्ति में देरी का होना है. लाल सागर को छोड़कर अन्य वैकल्पिक मार्ग लेने के लिए जहाजों को अफ्रीका घूमकर केप टाउन होकर आना होगा. इससे माल ढुलाई में लगने वाला समय तो 15 दिन बढ़ेगा ही साथ ही इससे तेल ढुलाई की कीमतें भी बढ़ जाएंगी. गोल्डमैन का आकलन है कि प्रति बैरल कच्चा तेल ढोने पर एक डॉलर और रिफाइंड प्रोडक्ट ढोने पर चार डॉलर एक्स्ट्रा लगेंगे.

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