India Is Buying 30 MQ 9b Reaper Drones From The US – How Will It Prove To Be Gamechanger – अमेरिका से 30 MQ 9B रीपर ड्रोन ले रहा है भारत – जानें, कैसे साबित होगा गेमचेंजर…?


अमेरिका से 30 MQ 9B रीपर ड्रोन ले रहा है भारत - जानें, कैसे साबित होगा गेमचेंजर...?

अमेरिका से होने जा रही करीब 3 अरब अमेरिकी डॉलर की इस डील में भारत को 30 MQ 9B रीपर ड्रोन मिलेंगे…

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे में दोनों मुल्कों के बीच बेहद घातक MQ-9B Reaper Drones की डील होगी. इस ड्रोन को हंटर किलर ड्रोन भी कहा जाता है.

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आपको याद होगा, अमेरिका ने बीते साल ही 31 जुलाई को तब के अलकायदा चीफ अल जवाहिरी को काबुल में मार गिराया था. हमला इतना सटीक था कि जवाहिरी के अलावा इमारत में मौजूद किसी और की मौत नहीं हुई थी. बता दें कि इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया था इसी किलर ड्रोन ने. यही वजह है कि चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव भरे रिश्तों को देखते हुए भारत ने इस नायाब ड्रोन को खरीदने का फैसला किया.

करीब 3 अरब अमेरिकी डॉलर की इस डील में भारत को 30 MQ 9B रीपर ड्रोन मिलेंगे, जिनमें से 14 ड्रोन भारतीय नौसेना को और 8-8 ड्रोन आर्मी और एयरफोर्स को मिलेंगे. PM नरेंद्र मोदी की दो दिन में शुरू हो रही अमेरिका यात्रा में ही इस सौदे पर दस्तखत होने जा रहे हैं, और डिफेंस एक्सपर्ट इसे गेमचेंजर के तौर पर देख रहे हैं.

अमेरिका के प्रतिष्ठित समाचारपत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक तालिबान और ISIS के खिलाफ अमेरिका ने इसी आधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल किया था. यह रीपर ड्रोन अमेरिकी सेना के हवाई बेड़े का बेहद खास हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल निगरानी और हमले, दोनों में किया जाता है. सबसे पहले जान लेते हैं इस किलर ड्रोन की खासियतों को.

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इस ड्रोन की ज़रूरत को आप दूसरे नज़रिये से भी समझ सकते हैं. पहले आप निगाह डालें हमारे देश की विशाल सीमा पर. भारत की तटीय सीमा 7,517 किलोमीटर की है. इसके अलावा चीन के साथ LAC 4,056 किमी, पाकिस्तान के साथ 3,323 किमी, नेपाल के साथ 1,752 और म्यांमार के साथ 1,645 किमी है. ऐसे में हमें ऐसे टोही विमान की ज़रूरत है, जो पड़ोसी देशों की आंखों में धूल झोंकते हुए रियल टाइम निगरानी कर सके.

MQ 9B Reaper Drones इसी ज़रूरत को बखूबी पूरा करते हैं. वह ज़मीन पर मौजूद दो पायलटों और सेंसर ऑपरेटरों की टीम द्वारा दूर से उड़ाए जाते हैं. पायलट टेकऑफ़, उड़ान पथ और लैंडिंग को नियंत्रित करता है, जबकि सेंसर ऑपरेटर कैमरों और निगरानी उपकरणों को नियंत्रित करते हैं. बताया जा रहा है कि सरकार इसे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत देश में ही बनवाना चाह रही थी, लेकिन अमेरिका इसे जल्द से जल्द बेचना चाह रहा था. चीन की बढ़ती आक्रामकता और चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे ड्रोन के मद्देनज़र भारत ने इस सौदे को मंजूरी दे दी.



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