India Will Not Fence Cheetah Habitat: Head Of Government Committee – भारत चीता आवास क्षेत्र की बाड़बंदी नहीं करेगा : सरकारी समिति के प्रमुख


भारत चीता आवास क्षेत्र की बाड़बंदी नहीं करेगा : सरकारी समिति के प्रमुख

नई दिल्ली: भारत, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया की तरह चीतों के आवास स्थल की बाड़बंदी नहीं करना चाहता, क्योंकि यह वन्य जीव संरक्षण के मौलिक सिद्धांतों के विपरित है. यह विचार चीतों को देश में दोबारा बसाने की परियोजना की निगरानी करने के लिए सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख ने बताया है. उल्लेखनीय है कि भारत में चीतों को दोबारा बसाने में मदद कर रहे दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञों ने चीतों के निवास स्थान की बाड़बंदी करने की सिफारिश की थी, ताकि उन्हें अलग रखा जा सके और मानव-पशु संघर्ष की स्थिति से बचा जा सके.

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हालांकि, भारत में मौजूद विशेषज्ञों का कहना है कि बाड़बंदी से जानवर की प्राकृतिक गतिविधियां प्रभावित होंगी और इससे चीतों की आबादी में आनुवांशिकी आदान-प्रदान बाधित होगा. 11 सदस्यीय चीता परिचालन समिति के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने कहा, ‘‘चीतों के आवास स्थल की बाड़बंदी के बारे में सोचना पूरी तरह से बेतुका है. यह वन्यजीव संरक्षण के सिद्धांतों के विपरित है. वहां(अफ्रीकी देशों में) पर जो बाड़बंदी है वह यहां नहीं होगी. हमारा विचार है कि संरक्षित इलाकों के क्षेत्रीय नेटवर्क को सुरक्षित क्षेत्रों के राष्ट्रीय नेटवर्क से मिला देना चाहिए. ताकि वन्यजीव के आनुवांशिकी आदान-प्रदान में समृद्धि आए.”

उन्होंने कहा, ‘‘ हम अपने सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों को जानते हैं. हम गत 50 साल से बाघ संरक्षण की परियोजना चला रहे हैं और हम जानते हैं कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की क्या स्थिति है. हम चीता परियोजना को भी संभाल लेंगे.” उल्लेखनीय है कि भारत में चीतों को दोबारा बसाने की परियोजना से करीब से जुड़े दक्षिण अफ्रीकी वन्य जीव विशेषज्ञ विंसेंट वान डेर मेरवी ने हाल में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ‘‘अब तक के दर्ज इतिहास में बिना बाड़बंदी चीतों को बसाने की परियोजना कभी सफल नहीं रही है. अफ्रीका में बिना बाड़बंदी की यह कोशिश करीब 15 बार की गई और हर बार असफलता हाथ लगी.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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