Indian Air Force Has Been Self-reliant Since The Beginning: Air Marshal Ashutosh Dixit – भारतीय वायुसेना शुरुआत से ही आत्मनिर्भर रही है : एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित



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उन्होंने कहा कि, हमारी फैसिलिटी से एचएएल बना. उसके बाद हमने मारूत एयरक्राफ्ट बनाया और बाद में जितने भी मिग एयरक्राफ्ट बने वह यहीं पर बने. उसके बाद भारतीय वायुसेना ने जोर लगाया एलसीए बनाने पर. आज हम तेजस के साथ फ्लाइंग कर रहे हैं. उसको विदेश में भी लेकर गए. जल्द ही हमारे पास उसका अगला वर्जन आने वाला है. इसके अलावा काफी सारे हथियार हैं, जो स्वदेशी हैं.  आकाश हो, अस्त्र हों, सारे सिस्टम देश में बने हैं. रडार के क्षेत्र में हम पूरे आत्मनिर्भर हो चुके हैं. वायुसेना थोड़ी बहुत चीजों को छोड़कर हर चीज में आत्मनिर्भर है.

एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा कि, तेजस का साइज बहुत छोटा है. यह लड़ाई में काफी लचीला होता है. उसके अंदर उसका कंप्यूटर, उसका सॉफ्टवेयर हमारे इंजीनियर ने बनाया है. हमने जैसा सोचा वह बिल्कुल वैसा ही है. यह वायुसेना के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. तेजस एक बहुत अच्छा पैकेज बनाकर निकला है, इसमें मेहनत बहुत लगी है.

उन्होंने कहा कि, मार्क 1ए में चार नए प्रयोग कर रहे हैं. नए तरह के रडार लग रहे हैं, नए तरीके के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम लगा रहे हैं. उसमें कई देशों में बने हथियार लगा रहे हैं. उसमें बिल्कुल नए कंप्यूटर लगे हैं. यह इस साल भारतीय वायुसेना के बड़े में शामिल हो जाएगा. 

एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि, देश में बने हुए हथियार बिल्कुल टक्कर के हैं. हम जो भी वेपन सिस्टम शामिल करते हैं उसमें काफी ट्रायल करते हैं. जो हमारी जरूरत को पूरा करता है तभी हम उसको शामिल करते हैं. यह सारे हथियार युद्ध लड़ने के लिए पूरी तरह सक्षम है. 

उन्होंने कहा कि, जिस तरह के लॉन्ग रेंज वेपन का जमाना आ रहा है, हम भी उसी पर फोकस कर रहे हैं. अब वह प्राइवेट सेक्टर में बना रहे हैं. जो हमने ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट लिए हैं, वे भी टाटा बना रही है.  पहले हम खाली डीपीएसयू के पास जाते थे, अब हम लोग प्राइवेट सेक्टर को भी कॉन्ट्रैक्ट दे रहे हैं. सरकार, सेना का पूरा भरोसा प्राइवेट सेक्टर पर है, आगे भी रहेगा.

एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा कि, वायुसेना में थोड़ी स्क्वाड्रन की संख्या कम है, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं. कुछ को अपग्रेड किया है, फिर भी गिनती चाहिए, वह मैटर करता है. हमने तेजस का कॉन्ट्रैक्ट कर लिया है. कुछ और अप्रूवल भी मिल चुके हैं. हमने एलसीए के लिए बोला है. बोला है कि कम से कम 24 जहाज एक साल में दीजिए. आज की तारीख में वे एक साल में 12 -13 तेजस दे सकते हैं. अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला रहा तो 2032 में 42 बेड़े हो जाएंगे. 

उन्होंने कहा कि, हम चुनौती के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, प्लांस रेडी हैं. देश जो हमसे उम्मीद कर रहा है उसे पूरा करने में हम सक्षम हैं. चाहे कोई भी फ्रंट हो, हम सबके लिए तैयार हैं.



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