Indian Navy: नहीं पता होगी इंडियन नेवी की फुल फॉर्म, गौरवशाली इतिहास करता है रोमांचित, ऐसे हुई थी शुरुआत…पढ़ें कहानी



<p style="text-align: justify;">भारतीय नौसेना, जिसे आमतौर पर इंडियन नेवी के नाम से जाना जाता है. एक महत्वपूर्ण सैन्य शाखा है, जो समुद्री सुरक्षा और रक्षा में कार्यरत है. इसका मुख्य उद्देश्य भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करना और समुद्र में किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करना है.</p>
<p style="text-align: justify;">भारतीय नौसेना न केवल देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत के हितों की रक्षा करती है. यह विभिन्न प्रकार के अभियानों में भाग लेती है, जैसे कि मानवता की सहायता, आपदा राहत और अन्य देशों के साथ सहयोगात्मक अभ्यास. आइए जानते हैं, इंडियन नेवी के बारे में.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये है फुल फॉर्म</strong><br />इंडियन नेवी का फुल फॉर्म &ldquo;Nautical Army of Volunteer Yeomen&rdquo; होता है. यह नाम इस बात को दर्शाता है कि भारतीय नौसेना एक स्वैच्छिक बल है, जो समुद्री गतिविधियों में विशेषज्ञता रखता है. इस प्रकार इंडियन नेवी का फुल फॉर्म &nbsp;न केवल इसके संगठनात्मक ढांचे को दर्शाता है, बल्कि इसकी कार्यप्रणाली और उद्देश्यों को भी स्पष्ट करता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इतना पुराना है इतिहास</strong><br />भारतीय नौसेना का इतिहास 1612 ई. से शुरू होता है, जब इसे ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्धकारिणी सेना के रूप में &ldquo;इंडियन मेरीन&rdquo; के नाम से स्थापित किया गया. यह नाम 1685 में बदलकर &ldquo;बंबई मेरीन&rdquo; रखा गया, जो 1830 तक चला. भारतीय नौसेना को एक संगठित और अनुशासित बल के रूप में मान्यता तब मिली जब भारतीय विधानपरिषद ने 8 सितंबर 1934 को भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया, जिसके परिणामस्वरूप रॉयल इंडियन नेवी का गठन हुआ.<br />द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, भारतीय नौसेना का विस्तार हुआ। इस समय इसके सदस्यों की संख्या 2,000 से बढ़कर लगभग 30,000 हो गई और बेड़े में आधुनिक जहाजों की संख्या भी बढ़ी. स्वतंत्रता के समय भारत की नौसेना केवल नाममात्र की थी, क्योंकि विभाजन के कारण लगभग एक तिहाई सेना पाकिस्तान को चली गई थी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>तब बनी थी विस्तार की योजना</strong><br />भारत सरकार ने तत्कालीन स्थिति को देखते हुए नौसेना के विस्तार की योजना बनाई और पहले वर्ष में ही ग्रेट ब्रिटेन से एक क्रूजर &ldquo;दिल्ली&ldquo; खरीदा. इसके बाद कई अन्य युद्धपोत जैसे ध्वंसक &ldquo;राजपूत&rdquo;, &ldquo;राणा&rdquo;, &ldquo;रणजीत&rdquo;, और अन्य जहाजों का अधिग्रहण किया गया.<br />1964 तक भारतीय बेड़े में वायुयानवाहक &ldquo;विक्रांत&rdquo;, क्रूजर &ldquo;दिल्ली&ldquo; और &ldquo;मैसूर&rdquo;, दो ध्वंसक स्क्वाड्रन तथा अनेक फ्रिगेट स्कवाड्रन शामिल थे. वर्तमान में, भारतीय नौसेना एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय शक्ति मानी जाती है और इसे एक ब्लू-वाटर नवी बनाने की दिशा में कार्यरत है</p>



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