Indore devendra singh chouhan security guard to entrepreneur sa


इंदौर: भारतीय सेना में सेवा करने का सपना देखा था, लेकिन जब किसी कारणवश पूरा नहीं हो पाया, तो वर्दी पहनने की उनकी उम्मीदें धराशायी हो गईं. इसलिए, उन्होंने अगला सबसे अच्छा विकल्प चुना—सिक्योरिटी के लोगो वाली नीली वर्दी. हालांकि, वे भारत की सीमाओं की रक्षा नहीं कर सकते थे, लेकिन रात-दिन लोगों की रक्षा करना उनके लिए काफी अच्छा था.

दरअसल, यह सफर था देवेंद्र सिंह चौहान का. राजस्थान के एक छोटे से गांव से जिंदगी का सफर शुरू करने वाले देवेंद्र ने जोधपुर से कॉलेज किया. राजनीति में करियर बनाना था, लेकिन माता-पिता नहीं माने. उनका कहना था कि बेटा कोई सरकारी नौकरी करे या आर्मी में जाए, लेकिन किसी कारण सिलेक्शन नहीं हो पाया, तो एक सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर करियर शुरू किया.

सुरक्षा में पहला कदम
लोकल 18 से बात करते हुए देवेंद्र बताते हैं कि पहले जोधपुर में ही ताज होटल में सिक्युरिटी में चुना गया. इसके बाद खजुराहो में भी काम किया. जब 1995-96 के दौरान इंदौर में होटल ताज आया, तो वहां शिफ्ट हो गए. इसके बाद कुछ वक्त तक होटल सायाजी में काम किया. अलग-अलग जगह काम करते हुए वहां की प्रकृति और लोगों की जरूरतों को समझने का मौका मिला. फिर सोचा कि खुद का काम शुरू करना चाहिए.

आशापुरा कंपनी की शुरुआत
2013 में आशापुरा कंपनी सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज को शुरू किया. लोगों को प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स की मांग बढ़ रही है, खासकर टियर-1 और टियर-2 शहरों, कार्यालयों, गेटेड समुदायों और कम पुलिस-से-जनसंख्या अनुपात के कारण. इसलिए इन लोगों के लिए काम तलाशना शुरू किया. कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हार नहीं मानी.

आज की स्थिति
अभी करीब 600-700 लोगों को काम दिया है. पहले गांव के लोग आते थे, लेकिन सरकारी योजनाओं के बाद गांव के लोगों ने आना बंद कर दिया. अब शहर के लोग ही अधिकतर आते हैं.

प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स की जरूरत और ट्रेनिंग
देश में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स की छोटी सेनाएं भी प्रहरी की तरह हैं. यहां युवा लोगों के लिए कोई खास आकर्षक करियर पथ नहीं है, इसलिए वो इसे अपना लेते हैं. इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की संभावना पर मीडिया में भी व्यापक रूप से चर्चा नहीं की जाती है.

तकनीकी बदलाव और ट्रेनिंग
ड्रोन कैमरों से लेकर ऐप द्वारा संचालित गेट और बढ़ती संख्या में सीसीटीवी जैसे कई सुरक्षा व्यवसाय में बड़े तकनीकी बदलाव हो रहे हैं, लेकिन गार्ड्स कभी भी पुराने नहीं होंगे. उन्हें बस खुद को ढालना होगा. ट्रेनिंग में न केवल अग्नि सुरक्षा, सीपीआर और सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हैं, बल्कि कैमरे, कंप्यूटर और ऐप के साथ काम करने के सबक भी शामिल हैं.

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देवेंद्र सिंह का मकसद
अपनी जिंदगी का एक ही मकसद लेकर चले कि हार नहीं मानी, मेहनत की और आगे बढ़े. मेहनत ही का कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है, इससे ही मंजिल मिलेगी.

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