Insurer Liable To Pay Compensation To Victims Family Even If Drivers License Is Invalid: Court – चालक का लाइसेंस अवैध होने पर भी बीमाकर्ता पीड़ित के परिवार को मुआवजा देने की जिम्मेदारी: HC
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि बीमा कंपनी दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार होती है, भले ही दुर्घटना में शामिल वाहन चालक के लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी हो और इसका नवीनीकरण नहीं हुआ हो, क्योंकि लाइसेंस की अवधि समाप्त हो जाने से वह अकुशल चालक नहीं बन जाता.
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न्यायमूर्ति एस जी डिगे की एकल पीठ ने अप्रैल में पारित एक आदेश में ‘आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ को उस महिला के परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया था जिसकी नवंबर 2011 में एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. आदेश की प्रति बृहस्पतिवार को मुहैया हुई. अदालत ने कहा कि बीमा कंपनी मुआवजे की राशि दुर्घटना में शामिल वाहन के मालिक से बाद में वसूल सकती है.
अदालत महिला के परिवार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती की गई थी. इस आदेश में बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने से छूट दी गई थी, क्योंकि दुर्घटना में शामिल वाहन के चालक का ड्राइविंग लाइसेंस समाप्त हो गया था.
न्यायाधिकरण ने ट्रक के मालिक को मुआवजा देने के निर्देश दिए थे. महिला आशा बाविस्कर नवंबर 2011 में मोटरसाइकिल पर पीछे बैठ कर पुणे में हदपसर की ओर जा रही थी तभी तेज रफ्तार से जा रहे एक ट्रक ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी. आशा जमीन पर गिर गईं और उनकी मौत हो गई.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ दुर्घटना के वक्त चालक का लाइसेंस नवीनीकृत नहीं था. इसका यह मतलब नहीं है कि वह कुशल चालक नहीं है.” अदालत ने कहा कि मोटरसाइकिल को ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिससे आशा की मौत हो गई. अदालत के अनुसार, घटना के दौरान ट्रक का बीमा कंपनी से बीमा था. इसलिए अनुबंध के अनुसार, मुआवजा देना बीमा कंपनी की जिम्मेदारी बनती है.
आगे अदालत ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि अगर किसी वाहन से दुर्घटना हुई है और अगर उसके चालक के पास दुर्घटना के समय प्रभावी तथा वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो पहले बीमा कंपनी को मुआवजा देना होगा और बाद में वह मुआवजा वाहन के मालिक से वसूला जाए.
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि न्यायाधिकरण ने इस पर विचार नहीं किया और दावे को खारिज करते हुए आदेश दे दिया. इसके साथ ही अदालत ने बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को छह सप्ताह के भीतर मुआवजा देने और यह राशि वाहन के मालिक से वसूलने का आदेश दिया. बीमा कंपनी ने याचिकाकर्ता की अपील का विरोध करते हुए दावा किया था कि याचिकाकर्ता दावेदारों को केवल मुआवजे का हक होता है, उन्हें यह नहीं देखना चाहिए कि मुआवजा कौन दे रहा है.