Investigation Team Said That More Than 50 Deaths In UP Hospital In 72 Hours Were Not Due To Heat – यूपी के अस्पताल में 72 घंटे में 50 से ज्यादा की मौत गर्मी के कारण नहीं हुई : जांच टीम
बलिया जिले में भीषण गर्मी और लू के कहर के बीच पिछले चार दिनों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. वहीं 400 लोग अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती बताए जा रहे हैं. हालांकि अधिकारियों ने इन मौतों के लिए अलग-अलग स्पष्टीकरण दिए हैं. एक वरिष्ठ सरकारी डॉक्टर एके सिंह ने कहा, “प्रथम दृष्टया, ये हीटवेव से संबंधित मौतें नहीं लगती हैं क्योंकि समान परिस्थितियों का सामना कर रहे आस-पास के जिले समान मौत के आंकड़े नहीं दे रहे हैं. शुरुआती लक्षण ज्यादातर सीने में दर्द के थे जो हीटवेव से प्रभावित किसी के लिए पहला लक्षण नहीं है.”
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इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि मौतें पानी से संबंधित हो सकती हैं. उन्होंने कहा, “इस बात की जांच की जाएगी कि मौतें पानी की वजह से हुई हैं या कोई और कारण है. जलवायु विभाग भी पानी के नमूनों की जांच के लिए आएगा.” इससे पहले दिन में, बलिया में तैनात एक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रैंक के डॉक्टर को उनके पद से हटा दिया गया था, उन्होंने ऑन रिकॉर्ड बयान दिया था किकई मौतें हीटस्ट्रोक के कारण हुईं, जो कि वायरल हो गया था. यूपी के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने कहा, “बिना उचित जानकारी के लू से हुई मौतों पर लापरवाह बयान देने के लिए उन्हें हटा दिया गया है.”
इन मौतों ने विपक्ष के गुस्से को हवा दे दी है और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इन मौतों के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.”राज्य सरकार की लापरवाही के कारण पूरे यूपी में इतने लोगों की जान चली गई है, उन्हें लोगों को हीटवेव के बारे में चेतावनी देनी चाहिए थी. पिछले 6 वर्षों में यूपी में एक भी जिला अस्पताल नहीं बनाया गया है. जिन्होंने अपनी जान गंवाई है गरीब किसान हैं क्योंकि उन्हें समय पर भोजन, दवाइयां और इलाज नहीं मिलता है.” ब्रजेश पाठक ने कहा कि सरकार ने बलिया में हुई घटना को गंभीरता से लिया है और वह खुद वहां की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.
मौतों में अचानक वृद्धि और मरीजों को बुखार, सांस लेने में तकलीफ और अन्य मुद्दों के साथ अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है, जिससे अस्पताल भरा पड़ा है, जिसने अपने कर्मचारियों को सतर्क कर दिया है. जिला अस्पताल में इतनी भीड़ है कि मरीजों को स्ट्रेचर तक नहीं मिल पा रहा है और कई अटेंडेंट अपने मरीजों को कंधे पर उठाकर इमरजेंसी वार्ड में ले जा रहे हैं. हालांकि, अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक ने दावा किया है कि अगर दस मरीज एक साथ आ जाएं तो मुश्किल हो जाती है, लेकिन उनके पास स्ट्रेचर हैं.
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