jabalpur blood family inspiring story sarbjit singh-narang and his wife


आकाश निषाद / जबलपुर: जब भी आपसे कोई पूछे एमपी की ब्लड फैमिली कौन है, तब आप बेहिचक इस फैमिली का नाम ले सकते हैं. दरअसल, ऐसा इसीलिए क्योंकि इस फैमिली ने 220 बार से अधिक ब्लड डोनेट किया है, मतलब करीब 110 लीटर ब्लड. यह फैमिली मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहती है, जिन्होंने समाज के लिए एक अनोखी मिसाल पेश की है. हम बात कर रहे हैं नारंग फैमिली की, जिन्हें ब्लड फैमिली के नाम से जाना जाता है.

ब्लड मैन सरबजीत सिंह नारंग
शहर में मशहूर ब्लड मैन सरबजीत सिंह नारंग ने लोकल 18 से बताया कि अभी तक 161 बार ब्लड दे चुके हैं. उम्र 55 साल हो गई है, लेकिन उम्र कोई मायने नहीं रखती है. सन 1989 में पहली बार ब्लड डोनेट किया था, जिसके बाद से 161 नॉट आउट हैं. उन्होंने बताया कि परिवार में दो बेटे और पत्नी हैं. पत्नी रेणु नारंग, जिनका ब्लड बी नेगेटिव है, ने अभी तक 22 बार ब्लड डोनेट किया है. जबकि बेटे सुखनम सिंह नारंग ने 40 बार और सुखद सिंह नारंग ने 19 साल की उम्र में 5 बार डोनेशन किया है.

थैलेसीमिया के बच्चे को देखकर पसीज गया दिल
उन्होंने बताया कि एक छोटा सा बच्चा था, जिसे थैलेसीमिया नाम की बीमारी थी. मुझे इस बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. मैं ब्लड डोनेट करने पहुंचा था. बाद में मुझे जानकारी मिली कि थैलेसीमिया एक गंभीर बीमारी है, जिसमें बार-बार खून की जरूरत होती है. यही बात घर तक लौटने के दौरान दिमाग में चलती रही और घर पहुंचते ही सारी बातें पत्नी से शेयर कीं. जहां मैंने और परिवार ने ब्लड डोनेट करने का संकल्प लिया. नतीजन, आज मिलकर 220 बार से अधिक ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

अपनों को बचाने अपने नहीं आते
उन्होंने बताया कि मैंने अपने जीवन में कई चीजें अनुभव की हैं. जहां परिवार में ही मां-बाप को जब ब्लड की जरूरत होती है, तब बच्चा अपने मां-बाप को ब्लड देने के लिए तैयार नहीं होता है. दुबले-पतले से लेकर कमजोरी सहित कई प्रकार के बहाने बनाते हैं और ब्लड के लिए संपर्क करते हैं. उन्होंने बताया कि जरूरतमंदों को ब्लड देने के लिए एक ग्रुप भी बनाया, जिसे दिशा वेलफेयर नाम दिया गया. इसमें दर्जनों लोग जुड़े हुए हैं. इस ग्रुप की मदद से कैंप सहित अन्य जागरूकता फैलाकर तीन सैकड़ा से अधिक बच्चों को मुफ्त में रक्त उपलब्ध कराने का कार्य करते हैं.

रक्तदान करने की शर्तें
रक्तदान करने के लिए उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए. न्यूनतम वजन 50 किलोग्राम होना चाहिए. डोनर को स्वस्थ होना चाहिए, किसी भी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिए. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान या गर्भावस्था में रक्तदान नहीं करना चाहिए. साथ ही जिनकी सर्जरी कुछ समय पहले हुई हो, संक्रमण हो या फिर यात्रा के बाद रक्तदान से बचना चाहिए.

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रक्तदान के फायदे
रक्तदान से शरीर में नए रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ता है, जिससे शरीर की सेहत में सुधार होता है. नियमित रक्तदान से रक्तदाब नियंत्रित रहता है और हृदय रोग का खतरा कम होता है. शरीर में आयरन का स्तर नियंत्रित होता है, जो एनीमिया की संभावनाओं को कम करता है. रक्तदान से जरूरतमंद लोगों की मदद होती है, जिससे समाज में सहयोग की भावना बढ़ती है. साथ ही रक्तदान करने से एक व्यक्ति को मानसिक संतोष और खुशी मिलती है, क्योंकि वह किसी की जान बचाने में योगदान दे रहा है. इतना ही नहीं, रक्तदान के दौरान स्वास्थ्य जांच होती है, जिससे व्यक्ति को अपनी सेहत के बारे में जानकारी मिलती है और ब्लड डोनेट करने से कैलोरी बर्न होती है, जिससे वजन नियंत्रण में भी मदद मिलती है.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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