Jaipur News : अनूठा है रेनवाल का दशहरा, यहां विजयदशमी के दिन नहीं अष्टमी को होता है रावण दहन


जयपुर. भारतीय हिंदू परंपरा में विजयदशमी का महत्व विशेष है. बहुत सी जगह पर तिथियां और अपनी परंपरा के अनुसार इस त्यौहार को मनाया जाता है. कुछ ऐसा ही जयपुर ग्रामीण के किशनगढ़ रेनवाल में होता है, जहां एक ही शहर में दो बार रावण का दहन होता है. यहां विजयादशमी से दो दिन पहले अष्टमी को ही रावण का दहन किया जाता है. यह परंपरा 155 वर्षों से चल रही है. राजस्थान में रावण दहन का शुभारंभ भी इसी शहर से होता है.

अष्टमी को रावण दहन का ये है कारण 
स्थानीय लोगों ने बताया कि रेनवाल के पास हरसौली क्षेत्र में सबसे पहले करीब पौने 600 साल पहले दशहरा मेला शुरू हुआ. इसका उल्लेख झांझूदास महाराज की ढूंढाड़ी भाषा की जयपुरी शैली में स्वरचित दंडक रामायण छंद में है. उसके 100 साल बाद रेनवाल में दशहरा व रावण दहन शुरू हुआ.

रेनवाल ठिकाना के हरसौली के महंत से अच्छे संबंध होने से महंत यहां आकर दशहरा पर पायना के पाठ करते थे, इस कारण विजयदशमी से पहले रेनवाल में दशहरा शुरू हुआ. इसके बाद रेनवाल के गांवों व कस्बों में अलग-अलग तिथियों को रावण दहन किया जाने लगा. स्थानीय लोगों के अनुसार कई जगहों पर आयोजन होने के कारण लोग हर जगह पहुंच सके, इसलिए रेनवाल के दशहरा मेले के आयोजकों ने विजयदशमी को रावण दहन न करके अष्टमी के दिन ही रावण दहन कर दिया.

अनूठा है रेनवाल का दशहरा 
दशहरा मेले में शामिल होने के लिए प्रवासी लोग मुंबई, कोलकाता, आसाम, नेपाल, चेन्नई आदि से परिवार सहित शामिल होते हैं. मेले को लेकर लोगो में उत्साह रहता है. मेले के दिन भगवान लक्ष्मण पालकी में बैठकर दशहरा मैदान पहुंचते है, उनके साथ मुखौटे लगाए पूरी वानर सेना नृत्य करते हुए चलती है.

रावण वध के साथ ही आतिशबाजी के साथ पुतले का दहन होता है. जीत की खुशी में पालकी में रघुनाथ जी की रास्ते में जगह-जगह लोग आरती उतारते हैं. रात में जीत के जश्न पर अवतार लीलाओं का मंचन होता है.जहां मुखौटे लगाए राम की सेना के पात्र नगाड़ों की थाप पर नृत्य करते हैं. मुखौटे नृत्य में दक्षिण भारतीय नृत्य शैली का नजारा देखने को मिलता है.

एक घंटे तक सेना के बीच होता है युद्ध 
इसके अलावा रेनवाल दशहरा मेले के मुख्य आकर्षण का केंद्र राम और रावण की सेवा के बीच होने वाला युद्ध है. यहां पर दक्षिण भारतीय शैली में मुखौटे बनाकर राम और रावण की सेवा युद्ध लड़ती है. करीब एक घंटे तक श्रीराम, लक्ष्मण व रावण की सेना के बीच युद्ध चलता है.

Tags: Jaipur news, Local18, Rajasthan news



Source link

x