Jaisalmer : पूरे भारत में दिखा चुका है यह कलाकार अपनी कला का हुनर, आज गुजर बसर करना हुआ मुश्किल



3075051 HYP 0 FEATUREIMG 20230428 120610 Jaisalmer : पूरे भारत में दिखा चुका है यह कलाकार अपनी कला का हुनर, आज गुजर बसर करना हुआ मुश्किल

 प्रतापा राम/ जैसलमेर. भारत पाक की सरहद पर बसे तीसरे सबसे बडे़ जिले जैसलमेर को पहचान विश्व पटल पर है. इस खूबसूरत जैसलमेर की कला, वीरगाथा, कीर्तिमान, धरोहर किसी से छुपे नहीं है. पोखरण का परमाणु परीक्षण हो या जैसलमेर के खूबसूरत महल किले व छतरियां, या अपनी गायन व वादन‌कला से देश विदेश से मच रही धूम सबमें जैसलमेर अव्वल रहा है.

कहा जाता है संगीत सुनना वे सुरों को साधना भिन्न-भिन्न तरीकों से लाभप्रद है. रिसर्च के अनुसार अच्छे सुर इंसान को शारीरिक , मानसिक व कई बिमारियों के निदान के लिए लाभप्रद है. जिसमें तनाव, अनिद्रा, मैमोरी ह्रास जैसी कई बिमारियां शामिल हैं. जैसलमेर में गायन और वादन कलाओं में पारंगत बहुत कलाकार है. जिसमें रावण हत्था वादन के लिए मशहूर कलाकार कॉलोनी के हरिराम भोपा ने देश के कई शहरों में कार्यक्रम करके जिले और राज्य के साथ कला व‌ देश का नाम रोशन किया है.

वैसे तो जैसलमेर के कलाकारों की‌ एक कॉलोनी भी है. लेकिन सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाले जिले जहां जनसंख्या घनत्व 2011 में 17 व्यक्ति प्रति किलोमीटर था. लेकिन इस कलाकारों की कॉलोनी जिनके सुरो की धमक विदेश सरजमी तक है उनके एक एक घर में 17 लोग रह रहे हैं.

हरिराम को रावण हत्था बजाने में महारथ हासिल है. यहां कलाकार किसी इंस्टिट्यूट से नहीं बनते, यहां के पानी में ही वो शिफा‌ है कि जम से ये कला (गुण) आ जाते हैं. इन्होंने पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति दी. उसके बाद हरिराम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हरिराम रावण हत्था का वादन लगभग पूरे देश में कर चुके हैं.

हरिराम भोपा का कहना है कि दुर्ग भ्रमण व गडीसर पर आने वाले पर्यटक रावण हत्था की आवाज सुनकर खुद के कदम रोककर सुनने को मजबूर हो जाते हैं. हरिराम देश भर में परफॉर्म करते हैं और जैसलमेर भ्रमण व शूटिंग के दौरान आने वाले सेलिब्रिटी व्यक्तिगत‌ कार्यक्रमों का आयोजन करवाते हैं. लेकिन शादियों की सीजन के अलावा इनके पास आय का कोई और स्तोत्र नहीं है. अप्रतीम टैलेंट होने के बाद भी छोटे से घर में रहने और खाने कमाने के लिए इस दर से उस दर तक पहुंचना होता है. हालांकि गर्मियों में पर्यटन कम होने के कारण इनको 2 वक्त की रोटी भी मुनासिब नहीं होती है.

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