James Webb Telescope image tells about moments infant Star which will be like Sun


हाइलाइट्स

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने तारे की पैदाइश के समय की खास तस्वीर ली है.
इससे पहले इस इलाके की इतनी स्पष्ट तस्वीर कभी नहीं ली जा सकी थी.
इससे वैज्ञानिकों को हमारे सूर्य के इतिहास की जानकारी मिल सकेगी.

ब्रह्माण्ड के कई हिस्सों की तस्वीरें कभी खूबसूरती के लिए जानी जाती है, कुछ अपने अंदर बहुत से रहस्य समेटे रहती हैं तो कुछ बहुत सारी कीमती जानकारी बताने वाली साबित होती हैं.  हाल रही में ऐसी ही एक अभूतपूर्व तस्वीर नासा और ईसा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने ली है जिसमें एक तारे की पैदा होने के ठीक बाद के क्षण कैद हुए हैं. इतना ही नहीं यह तस्वीर एक खास तरह के क्षेत्र या पिंड समूह की है, जिससे ना केवल तारों के निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिल सकती है,बल्कि खुद हमारे सूर्य के इतिहास के बारे में भी जानकारी मिल सकती है.

खास तरह के क्षेत्र और पिंड
इस खास तरह के क्षेत्र  को हर्बिग-हारा पिंड कहा जाता है. यह विशेष पिंड नवजात तारों के आसपास के चमकीले क्षेत्र का निर्माण कर रहा है जो तब बना है जब इन नवजात तारों से निकली गैस की जेट बहुत ही तेज गति से पास की गैस और धूल से टकराई थी. यह खास नजारा एक युवा तारे के निकलने वाले प्रवाह से बन रहा है.

भविष्य में बनेगा हमारे सूर्य की तरह
इस नवजात तारे के बारे में कहा जा रहा है कि भविष्य में हमारे सूर्य की तरह बनेगा. यानि यह अभी उस स्थिति में है जब हमारा सूर्य कुछ हजारों साले पुराना था और इसका भार आज के सूर्य का केवल 8 फीसदी भार के बराबर का है. इन्फ्रारेड तस्वीरें नवजात तारों और उनसे निकलने वाले प्रवाहों के अध्ययन में बड़ी भूमिका निभाती हैं.

अवलोकन के लिए बहुत ही उपयुक्त
इस तरह के तारों की खास बात यह होती है कि वे उस गैस में लिपटे हुए होते है जो उस आणविक बादल से बनी होती है जिससे ये तारे खुद बने होते हैं. तारे से बाहर निकलने वाले प्रवाह से निकलने वाले इंफ्रारेड उत्सर्जन रास्ते में आने वाली गैस और धूल को भी पार करने में सक्षम हैं  जिससे एचएच211 नाम का यह हर्बिग-हारो वेब के संवेदी उपकरणों के अवलोकनों के लिए आदर्श बन गया है.

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ऐसी परिस्थितियों में नवजात तारे के बारे में बहुत सी जानकारी मिलती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: NASA, ESA, CSA)

किस तरह का दिख रहा है नजारा
इस तस्वीर में उत्तर पश्चिम और दक्षिणपूर्व तक बो शॉक्स की शृंखला दिखाई दे रही है और साथ ही एक पतली द्विध्रुवीय जेट भी दिख रही है जिससे की इन झटकों को ऊर्जा मिल रही है. ऐसा नहीं है कि इससे पहले एचएच 211 की तस्वीर कभी नहीं ली गई. लेकिन यह पहली तस्वीर है जो पिछली तस्वीरों 5 से 10 गुना ज्यादा बेहतर विभेदन वाली तस्वीर है.

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द्विज तारे के तंत्र में
इसके अंदर की जेट केंद्र में स्थित प्रोटोस्टार के दोनों तरफ एक आईने के जैसी समरूता का आभास देते हुए हिलती दिख रही है. इससे पता चल रहा है कि यह नवजात तारा एक द्विज तारा हो सकता है. वेब टेलीस्कोप के नए अवलकोनों की मदद से शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि इस पिंड का बाहर निकलने वाला प्रवाह अन्य नवजात तारों के बाहरी प्रवाह की तुलना में धीमा है.

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जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप इस तरह के पिंडों के जरिए हमारे सौरमंडल के रहस्य खोल सकता है. (तस्वीर: NASA)

प्रवाह से पैदा होने वाले झटके हलके किस्म के
इस बाहरी प्रवाह की संरचना के सबसे अंदर की गतियां करीब 46 से 60 मील प्रति सेंकड की आंकी गई हैं. लेकिन इन गतियों के अंतर और उस प्रमुख पदार्थ जिससे वे प्रवाह टकरा रहा है, उससे पैदा होने वाले झटके बहुत ही छोटे हैं. शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह बाहरी प्रवाह युवा तारों से निकल रहे हैं.

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एचएच211 के केंद्र से निकलने वाले इन प्रवाहों की खास बात यह है कि ये अधिकांश तौर पर अणों से बनने है ना कि किसी तरह के सौर पवन या अन्य महीन कणों से. ऐसा इसलिए है क्योंकि कम वेग की झटकेदार तंरगें इतनी ऊर्जावान नहीं है जिससे वे अणुओं को तोड़ तक उन्हें परमाणु और आयन में बदल दें. वेब टेलीस्कोप सूदूर संसारों मे दूसरे तारों के आसपास का अध्ययन कर हमारे सौरमंडल के रहस्य सुलझाने का प्रयास कर रहा है.



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