जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय (वार्षिकोत्सव तथास्तु ’22 विशेष, 11–12 फरवरी, 2022)
जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
(वार्षिकोत्सव तथास्तु ’22 विशेष, 11–12 फरवरी, 2022)
दिल्ली विश्वविद्यालय अधीनस्थ जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय के इतिहास विभाग एसोसिएशन ‘हरिटेज’ द्वारा दो दिवसीय वार्षिकोत्सव *“तथास्तु ’22”* आजादी का अमृत महोत्सव के बेनर तले 11–12 फरवरी, 2022 को वेबीनार के माध्यम से शुभारंभ किया गया। जिसका विषय “ टरबूलेंस, ट्रस्ट, ट्रुंफ ” था। इस सुअवसर के प्रथम दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर क्रमश: बिरजू महाराज परंपरा के फाउन्डर गुरु रूबी मिश्रा, लूइट रिनिवेबल प्राइवेट लिमिटेड के सी ई ओ श्री अनुज कंबोज तथा जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के डॉ प्रशांत नेगी ने अपने-अपने विषय पर वार्षिकोत्सव “तथास्तु ’22” कार्यक्रम में अमूल्य शोधपरक ज्ञान से सभी प्राध्यापक सहित छात्राओं को संबोधित किया जिससे वे अधिकाधिक लाभान्वित हुए।
कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वंदना के साथ सभी छात्राओं, प्राध्यापकों की उपस्थिति में मुख्य अतिथियों का महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ स्वाति पाल, इतिहास विभाग प्रमुख डॉ मनीषा शर्मा तथा एसोसिएशन ‘हरिटेज’ प्रमुख डॉ तारा शीमर के साथ औपचारिक एवं वर्चुअल स्वागत किया गया। प्रथम दिवस के कार्यक्रम को दो सत्रों प्रात: और दोपहर में विभाजित किया गया था। प्रात: सत्र के अंतर्गत एसोसिएशन ‘हरिटेज’ प्रमुख डॉ तारा शीमर ने कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्य को विस्तार पूर्वक बताया और कहा कि यह कार्यक्रम विभाग की पूर्व वरिष्ठ संकाय मिसेस स्मिता मित्रा को समर्पित किया जिनका विगत वर्ष असामयिक निधन हो गया था। तत्पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ पाल ने अपने उदबोधन में मिसेस स्मिता को याद करते हुए कहा कि उनकी रचनात्मकता –सृजनात्मकता -कौशलता को महाविद्यालय परिवार सदैव याद रखेगा और उनकी कमी महसूस होते रहेगी। उन्होंने आगे भी कहा कि इतिहास को सही दिशा में लिखने की आवश्यकता पर जोर दिया एवं वैश्विक महामारी के समय में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिये इतिहास विभाग को धन्यवाद भी दिया, जो सभी को प्रेरित करेगी।
इसके पश्चात् प्रथम मुख्य अतिथि गुरु रूबी मिश्रा ने “संघर्ष, विश्वास, और विजेता” पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत की, ने कहा कि संघर्ष हमारा चॉइस नहीं, बल्कि कुदरत देती है और इसके परिणामस्वरूप हमे विजय मिलता है। आगे भी कहा कि कलाकार बनना इतना आसान नहीं है, यह संघर्ष से शुरू होती है। संघर्ष से विश्वास और विश्वास से सफलता मिलती है। तत्पश्चात द्वितीय मुख्य अतिथि श्री मनोज कंबोज पर्यावरणीय परिदृश्य और इसके बदलते स्वरूप पर क्रमबद्ध रूप से तथ्यात्मक एवं विशद व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने शोधपरक थीसिस से कहा कि वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, बर्फ पिघल रहे है, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और कॉर्बन डाई आक्साइड की मात्र बढ़ रही है। इसके लिए हमे कॉर्बनिक पदार्थों का सेवन करना पड़ेगा, प्लास्टिक और रासायनिक युक्त वस्तुओ से मुक्त होना पड़ेगा तथा प्राकृतिक और शाकाहारी भोज्य पदार्थों का सेवन करना पड़ेगा। सार्वजनिक वाहन, पैदल चलना, मितव्ययी और सकारात्मक सोच विकसित करना पड़ेगा जिससे पर्यावरण संरक्षित हो सके। इसके पश्चात अंत में डॉ नेगी अपने उद्बोधन वक्तव्य में भारत में “समावेशी और सामाजिक न्याय” विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि देश में रहने वाले सभी व्यक्ति को सामाजिक न्याय संवैधानिक तरीके से मिलना चाहिए, इसे उपलब्ध कराना राज्य का दायित्व है। इसकी व्यवस्था संविधान में लिखित राज्य के नीति निर्देशक तत्व और लोक कल्याणकारी भावनाओ से अभिप्रेरित उल्लेखित है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र दोपहर में अन्तराष्ट्रिय वेबीनार आयोजित किया गया। जिसका प्रमुख विषय “शांति, हिंसा: सामयिक चिंतन” था। जिसमे प्रमुख वक्ता क्रमश: अशोका विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ अपर्णा वैदिक ने मिथ और हिंसा पर महाकाव्य और धर्मशास्त्रों पर आधारित जन नायकों का उद्धरण प्रस्तुत कर विस्तृत वक्तव्य दिया। इसके पश्चात मध्य पूर्व के जर्मन राजनयिक और वरिष्ठ संयुक्त राष्ट्र सलाहकार डॉ कार्स्टन वेलेंड ने “इंटरनेशनल अटेम्प्ट ऑफ कान्फ्लिक्ट रेसोल्यूशन: द इग्ज़ैम्पल ऑफ सीरिया एण्ड बिऑन्ड” पर अन्तराष्ट्रिय स्तर पर सीरिया और सामयिक देशों के साथ संबंध पर व्यापक दृष्टिकोण प्रकाशित किया।
कार्यक्रम के अंत में मिसेस स्मिता मित्रा का महाविद्यालय परिसर में उनके जीवन से जुड़ी चित्र प्रदर्शनी और संगीत का संगायन किया गया। नि:संदेह इन विषय विशेषज्ञ के माध्यम से
छात्राओं तथा प्राध्यापकों ने विषय के महत्व को जाना और अपने-अपने ज्ञान को पल्लवित कर लाभ उठाया। कार्यक्रम को सुचारु रूप से सफल बनाने में हेरिटेज एसोसियशन प्रभारी डॉ तारा शीमर के साथ-साथ इतिहास विभाग की छात्रा संघ अध्यक्षा सुश्री निशा भारद्वाज, उपाध्यक्ष मान्या एवं सभी टीम ने अपनी महती भूमिका निभाई। अंत: में इतिहास विभाग प्रमुख डॉ मनीषा शर्मा के धन्यवाद भाषण के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
सधन्यवाद!