Janmashtami 2024: राधा नहीं, रुक्मणी संग यहां विराजते हैं श्रीकृष्ण; सालों पुराना है ये मंदिर
धीर राजपूत /फिरोजाबाद: वैसे तो देश भर में भगवान श्रीकृष्ण के लाखों मंदिर हैं, जहां वह राधा जी के साथ विराजते हैं. लेकिन, यूपी के फिरोजाबाद में एक ऐसा मंदिर है जहां कान्हा के साथ उनकी राधा नहीं हैं. जी हां, फिरोजाबाद के इस मंदिर की मान्यता गुजरात के दाऊजी मंदिर की तरह है. यहां जन्माष्टमी के पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है. यहां कान्हा के साथ उनकी पत्नी के भी दर्शन करने के लिए भक्त काफी दूर-दूर से आते हैं. यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है. यहां सभी भक्तों की मान्यताएं पूरी होती हैं.
फिरोजाबाद के घंटाघर के पास स्थित भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक गौड़ ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि उनका परिवार तीन पीढियों से इस मंदिर में पूजा अर्चना कर रहा है. पहले उनके दादाजी फिर पिताजी और अब वह इस मंदिर का देखरेख करते हैं. वहीं उन्होने कहा कि इस मंदिर का निर्माण 1879 में सेठ कन्हैय़ा लाल ने स्थापित किया था.
रुक्मणी के साथ यहां विराजते हैं श्रीकृष्ण
फिरोजाबाद में अकेला अग्रवाल समाज का मंदिर है, जो गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर की तरह ही स्थापित किया गया है. वहीं पंडित जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के अनेक ऐसे मंदिर हैं, जहां उनके साथ राधा रानी की पूजा की जाती है. लेकिन फिरोजाबाद का ये इकलौता ऐसा मंदिर है जहां द्वारिकाधीश अपनी पत्नी रुक्मणी के साथ विराजते हैं. उन्होने कहा कि द्वारिकाधीश सम्पूर्ण जगत के न्यायाधीश हैं, जो भक्तों के साथ न्याय करते हैं. इसलिए इस मंदिर को द्वारिकाधीश के नाम से जाना जाता है.
जन्माष्टमी पर भक्तों का सैलाब
मंदिर के पंडित जी ने बताया कि इस द्वारिकाधीश मंदिर पर जन्माष्टमी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है. जिले का सबसे बड़ा मंदिर यही है. इसलिए जन्माष्टमी के दिन फिरोजाबाद ही नहीं, बल्कि आसपास के शहर जैसे शिकोहाबाद, टूंडला, आगरा, इटावा तक के लोग यहा दर्शन के लिए आते हैं. पंडित जी ने कहा कि जो भक्त संसार में सभी जगह से भटक कर यहां आता है, तो हमारे द्वारिकाधीश उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 07:55 IST
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