Jat Votes Big Challenge For BJP Amidst The Allegations Of Wrestlers On Brij Bhushan Sharan Singh – पहलवान आंदोलन को जल्द खत्म कराने में जुटी BJP, क्या है इसका जाट राजनीति से कनेक्शन?



7mpikqao bajrang Jat Votes Big Challenge For BJP Amidst The Allegations Of Wrestlers On Brij Bhushan Sharan Singh - पहलवान आंदोलन को जल्द खत्म कराने में जुटी BJP, क्या है इसका जाट राजनीति से कनेक्शन?

इस मामले को लेकर बीजेपी नेतृत्व को बताया गया है कि साल के अंत में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ सकता है. बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाने वाली महिला पहलवानों के पीछे जाट बिरादरी की गोलबंदी के नफे-नुकसान को लेकर भी चर्चा की जा रही है. उधर, हरियाणा गठबंधन में जननायक जनता पार्टी (Jannayak Janata Party) और बीजेपी के बीच खटपट भी बढ़ रही है. इसमें एक मुद्दा महिलाओं के सम्मान का भी है. यही कारण है कि बीजेपी की कुछ महिला सांसद खुल कर इन महिला पहलवानों के समर्थन में आ गईं हैं. 

अहमियत रखते हैं जाट वोट 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में जाट वोट खासी अहमियत रखते हैं. इन राज्यों में करीब 130 विधानसभा सीटों और 40 लोक सभा सीटों पर जाट वोट का असर है. आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में करीब एक चौथाई आबादी जाटों की है, वहीं राजस्थान में करीब 15% जाट आबादी है. उत्तर प्रदेश में जाटों की संख्‍या करीब ढाई फीसदी है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों का खासा दबदबा है.  इन तीन राज्यों में बीजेपी को जाट समुदाय का समर्थन मिलता रहा है. 

बीजेपी को मिला था बंपर वोट 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले चार बड़े चुनावों में बीजेपी ने बड़ी संख्या में जाट वोट जीतने में कामयाबी हासिल की है. यहां तक कि किसान आंदोलन के बावजूद बीजेपी पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रही है. उत्तर प्रदेश विधानसभा की 60 सीटें ऐसी हैं, जहां पर जाटों की आबादी 15% से अधिक है. इनमें से करीब 48% मतों के साथ बीजेपी ने 44 सीटें जीतीं हैं. वहीं समाजवादी पार्टी और राष्‍ट्रीय लोकदल गठबंधन को सिर्फ 13 सीटें मिलीं. 

75 सीटों पर 15% से ज्‍यादा जाट मतदाता  

राजस्थान की बात करें तो वहां भी बीजेपी को जाट समुदाय का वोट मिला है. राज्य में 75 सीटें ऐसी जहां जाट वोट 15% से ज्यादा है. इनमें 35.5% वोटों के साथ बीजेपी ने 20 सीटें जीतीं थी, जबकि करीब 37% वोटों के साथ कांग्रेस को 41 सीटों पर जीत मिली थी. अगर जाट विधायकों की बात करें तो इसमें कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है. 2018 में 34 जाट विधायक जीते. इनमें से 18 जाट विधायक कांग्रेस के थे, जबकि बीजेपी के 10 जाट विधायक जीते. 

चौटाला का लेना पड़ा समर्थन 

इसी तरह, हरियाणा में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार गैर जाट मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में सरकार बनाई, लेकिन उसे इस बार जाट नेता दुष्यंत चौटाला का समर्थन लेना पड़ा. हरियाणा में बीजेपी के 40 में से 5 विधायक जाट हैं. हरियाणा के कुल 90 में से 25 विधायक जाट हैं, जबकि कांग्रेस के 31 में से 9 विधायक जाट हैं और जेजेपी के दस में से पांच विधायक जाट हैं. 

40 लोकसभा सीटों पर जाटों का असर 

अगर लोक सभा चुनाव की बात करें तो यहां भी जाट समुदाय की ताकत मायने रखती है. करीब 40 लोकसभा सीटों पर जाटों का असर है. यूपी की 14 में से ऐसी 12 सीटें और हरियाणा की दस की दस सीटें बीजेपी के पास है. वहीं राजस्थान में ऐसी 15 में से 14 सीटों पर बीजेपी का कब्‍जा है और एक उसकी पूर्व सहयोगी आरएलपी के पास है. 

जाटों को नुमाइंदगी देने की कोशिश 

बीजेपी ने जाट समुदाय को साधने में काफी पसीना बहाया है. यही कारण है कि खासतौर से पश्चिम उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उसकी पैठ बढ़ी है. उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्रसिंह बनाए गए हैं और हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ हैं. सतीश पूनिया राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष से हटाने के बाद अब विपक्ष का उपनेता बनाया गया. साथ ही जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति हैं. साथ ही केंद्र में संजीव बालियान और कैलाश चौधरी मंत्री हैं. 

राजस्थान विधानसभा चुनाव बड़ी चुनौती

बीजेपी के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती राजस्थान विधानसभा चुनाव है. राजस्थान में जाट समुदाय के वोट करीब 75 सीटों पर अहमियत रखते हैं. राजस्थान में शेखावटी क्षेत्र में जाट वोट अहम हैं. यहां पर 25-35 प्रतिशत तक जाट मतदाता हैं. हनुमानगढ़, गंगानगर, धौलपुर, बीकानेर, चुरू, झुंझुनूं, नागौर, जयपुर, चित्तौड़गढ़, अजमेर, बाड़मेर, टोंक, सीकर, जोधपुर और भरतपुर में जाट महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. 

राजे की भूमिका पर असमंजस 

बीजेपी के लिए राजस्थान में जाट वोटों को साधना एक बड़ी चुनौती भी है. पार्टी में वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर अभी असमंजस की स्थिति है तो हनुमान बेनीवाल खुलकर बीजेपी के खिलाफ मैदान में ताल ठोक रहे हैं. पिछली बार बेनीवाल बीजेपी के साथ थे. 

मामला सुलझाने की कोशिश में बीजेपी 

दरअसल, बीजेपी के जाट नेताओं को भी पहलवानों के आंदोलन और उससे हो रही नाराजगी का अंदाजा है. यही कारण है कि वे बीचबचाव करने में लगे हैं. सूत्रों के अनुसार, संजीव बालियान ने आंदोलनकारी पहलवानों और सरकार के बीच मध्यस्थता का प्रयास किया है. वहीं ओमप्रकाश धनखड़ ने भी हरियाणा के जमीनी हालात से नेतृत्व को अवगत कराया है. यही कारण है कि बीजेपी चाहती है कि पहलवानों का मसला जल्दी हल हो. 

पहलवानों के मुद्दे का प्रभाव पड़ेगा : संधू 

वरिष्‍ठ पत्रकार जगदीप संधू का मानना है कि जाट समुदाय में पहलवानों के मुद्दे का असर गहरा है. इसका प्रभाव जरूर पड़ेगा. उन्‍होंने कहा कि भाजपा या कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी जाति को अपने राजनीतिक परिदृश्‍य में अनदेखा नहीं कर सकती है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि यह मुद्दा अस्मिता का मुद्दा है. इसके लिए बहुत सी चीजें लोगों के मन में चल रही है. 

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