jawahar lal nehru kept this thing besides him till the last moment know the details


Children’s Day 2024: आज यानी 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिवस है. साल 1889 में 14 नवंबर के दिन ही उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था. उन्होंने अपने जीवन में अनेकों उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें सबसे बड़ी उपलब्धि थी स्वतंत्र भारत का पहला प्रधानमंत्री बनना.

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को पूरी दुनिया में चिल्ड्रनंस डे यानी बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. आज बाल दिवस के मौके पर हम आपको बताएंगे उसे चीज के बारे में जो 30 साल तक पंडित नेहरू ने अपने पास ही रखी. और आखिरी समय पर वह चीज उनके साथ ही गई. क्या थी वह चीज चलिए जानते हैं. 

पत्नी की अस्थियां नेहरू रखते थे अपने सिराहने

पंडित जवाहर लाल नेहरू की शादी साल 1916 में कमला नेहरू से हुई थी. कमला नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नेता थीं और एक सामाजिक कार्यकर्ता थी. लेकिन मात्र 36 साल की बेहद कम उम्र में ही उनका निधन हो गया था. साल 1931 के आखिरी महीनों में कमला नेहरू की तबीयत खराब रहने लगी थी. उन्हें टीवी यानी ट्यूबरक्लोसिस की बीमारी हो चुकी थी. इलाज के लिए उन्हें यूरोप भी ले जाया गया था. जहां स्विट्जरलैंड में इलाज के दौरान साल 1936 में 28 फरवरी के दिन वह दुनिया को छोड़कर चली गई. 

यह भी पढ़ें: Children’s Day 2024: नेहरू की मौत से 10 साल पहले ही मनाया जाने लगा था बाल दिवस, जानें कैसे हुई थी इसकी शुरुआत?

जवाहरलाल नेहरू कमला नेहरू को लेकर बेहद संजीदा थे, वह उनसे बेहद लगाव रखते थे और यही कारण था कि पंडित नेहरू स्विट्जरलैंड से अपनी पत्नी की अस्थियां भारत वापस लेकर आए. इसके बाद पूरी जिंदगी पंडित नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू की अस्थियों को अपने पास ही रखा करते थे. फिर चाहे वह आनंद भवन में रहे हो या दिल्ली में यॉर्क रोड वाले घर में जहां कहीं भी हों कमला नेहरू की अस्थियां पंडित नेहरू के पलंग के किनारे ही रखी होती थीं. 

यह भी पढ़ें: कहां से आया है पुलिस शब्द, कैसे ये पूरी दुनिया में एक खास फोर्स की पहचान बन गई

बाद में साथ बहाईं गईं दोनों की अस्थियां

30 साल तक जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पत्नी की अस्थियां अपने सिरहाने रखी थीं. वह जहां भी जाते थे उन्हें अपने साथ लेकर जाते थे. और जो पंडित नेहरू का देहांत हुआ. तो उनकी अस्थियों के साथ ही उनकी पत्नी की अस्थियों को भी इलाहाबाद में गंगा में साथ में प्रवाहित किया गया. 

यह भी पढ़ें: Children’s Day 2024: अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्यों भड़क गए थे नेहरू, गुस्से में क्यों कहा था- मैं इतनी जल्दी मरने नहीं जा रहा

 

 



Source link

x