Jehanabad News : 7 लाख की नौकरी को छोड़ी और शुरू किया ये बिजनेस, आज जबरदस्त कर रहे कमाई


जहानाबाद : बिहार में मछली पालन का दायरा बढ़ता जा रहा है. किसान खेती के साथ मत्स्य पालन पर खूब जोर दे रहे हैं. युवा भी इस व्यवसाय से जुड़ने लगे हैं. चुकी इसमें कम लागत में अच्छी कमाई हो रही है और सरकारी मदद भी मिल रही है. जहानाबाद के घोसी प्रखंड स्थित भारथु के युवा दुर्गेश कुमार बड़े पैमाने पर मछली पालन कर रहे हैं. साढ़े आठ बीघा में मछली पाल रहे हैं. 5 तालाब उनके पास छोटा छोटा है और कुछ बड़े तालाब हैं. छोटे तालाब में मछली का जीरा तैयार करते हैं. वहीं, बड़े तालाब में बड़े मछली रखे हुए हैं. उन्होंने एमबीए तक की पढ़ाई की है.

कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ शुरू किया मत्स्य पालन
लोकल 18 की टीम से बात करते हुए युवा किसान दुर्गेश बताते हैं कि हम 15 साल तक कर्नाटक में रहे. वहीं, ग्रेजुएशन किया और उसके बाद बैंगलोर में रहकर एमबीए मार्केटिंग से किया. इसके बाद वहीं मेरी नौकरी हो गई. कई अच्छी कंपनी में काम किया. उस वक्त मेरी सैलरी सालाना 7 लाख के आस पास थी. हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से घर आ गया. उस वक्त मेरा एक बच्चा छोटा था और कंपनी वर्क फ्रॉम होम एक्सटेंड नहीं की, जिसके कारण हमने नौकरी छोड़ दिया. इसी दौरान मन में यह खयाल आया कि घर पर ही रहकर क्यों न एक व्यवसाय शुरू किए जाय, जिसके बाद मत्स्य पालन की शुरुआत की.

ऐसे शुरू किया मछली पालन
युवा दुर्गेश बताते हैं कि हमारे गांव में भैया मछली पालन पहले से कर रहे थे. उनसे कुछ आइडिया लिया. इस दौरान परिणाम अच्छा आया और फर्स्ट कल्चर में ही 25 प्रतिशत का मुनाफा हुआ. एक कल्चर निकालने के बाद और जिज्ञासा बढ़ गई. इसके बाद जहानाबाद मत्स्य विभाग कार्यालय गया. वहां से मुझे काफी सपोर्ट मिला और निरंतर मिल भी रहा है. गाइड भी किया जाता था. जब रिसर्च किया तो यह पाया कि हमारे यहां जासर मछली का जो पालन होता है, उसका कल्चर साउथ ईस्ट एशियन देशों से आया है. इसके बारे में काफी कुछ अध्ययन किया और बारीकी से इस बारे में जानकारी ली.

साढ़े 8 बीघा में कर रहे हैं मत्स्य पालन
वे कहते हैं कि हमारे गांव में वर्तमान में 40 से 50 बीघा तालाब है, जिसमें मछली पालन हो रहा है. हम सभी कृषक को चाहिए कि एक दूसरे से संवाद करें और मत्स्य पालन कैसे करना है, उस पर गंभीरता से विचार करें. इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. हमारे पास कुल 3 बड़े तालाब हैं और 5 छोटे तालाब हैं. छोटा तालाब जो हमारे पास है, वो आईएमसी यानी रोहू, कतला, ग्रास कार्प और नैनी का सीड बैंक है. इसमें जीरा तैयार करते हैं. हमारे पास एक छोटा सा फार्म हाउस है.

नए सीजन से जीरा की सप्लाई आसपास के जिलों में भी
दुर्गेश ने बताया कि हम अभी बंगाल से मछली का जीरा मंगवा रहे हैं. इस साल हमने 28 से 30 लाख जीरा पूरे जिले में सप्लाई किया है. कुछ जीरा गया, अरवल और पटना जिले में भी गया है. बेहतर तरीके से जहानाबाद पर ही काम कर रहे हैं. नए सीजन से आस पास के जिलों में भी काम चालू हो जायेगा. बायोफ्लॉक सेट अप भी इस महीने के अंत से चालू कर देंगे. नए सीजन से देसी मांगुर, सिंघी और रूपचंद का भी बच्चा उपलब्ध रखूंगा.

कर सकते हैं अच्छी कमाई 
अगर एक बीघा में मत्स्य पालन कर रहे हैं तो आपको मोटा मोटी 10 से 12 हजार मछली का कल्चर करिए. फिश कल्चर को देखें तो आपको 100 रुपए में 80 से 85 रुपए तक खाना पर खर्च आएगा. खेती से 5 गुना रिटर्न ज्यादा ले सकते हैं. एक बीघा में 10 से 12 मछली पाल रहे हैं तो 7 से 8 लाख रुपए खर्च आयेंगे. इसमें 20 से 25 प्रतिशत आपको कम से कम मुनाफा होगा. वहीं, आप अच्छा तकनीक से करेंगे तो आपको 40 प्रतिशत तक मुनाफा हो सकता है.

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