Jitiya Vrat 2024: संतान की लंबी उम्र के लिए इस दिन माताएं रखती हैं निर्जला व्रत, जानें महत्व और पूजन विधि 


विक्रम कुमार झा/पूर्णिया: आपने एक कहावत जरूर सुना होगा पूत कपूत हो सकता है लेकिन माता कभी कुमाता नही हो सकती है. इसलिए दुनिया में सबसे पहले अगर किसी की पूजा होती है तो वो पूजा सिर्फ मां की होती है. वही मां अपने बच्चे को दुनिया की हर मुसीबतों से दूर रखती है. मां का आशीर्वाद मिलता रहे तो लोग सब दिन सुखी रहेंगे. ऐसे में हर मां अपने संतान की लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य के लिए बहुत कठिन से कठिन व्रत पूरी तरह निर्जला उपवास रहकर करती है. जिससे ईश्वर की कृपा हम सबो पर बरसती हैं.

24 सितंबर से शुरू 26 को होगा खत्म
मिथिला पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका या जीमूत्वाहन या जितिया का व्रत रखा जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया जीमूत्वाहन व्रत के नाम से भी जाना जाता है. वहीं इस साल जितिया का व्रत 24 सितंबर दिन मंगलवार को नहाय- खाय के साथ शुरू होगा. वही माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र समृद्धि और स्वस्थ और उन्नत जीवन के लिए इस व्रत को निर्जला उपवास रहकर करती हैं. मान्यताओं के अनुसार संतान के लिए किया गया यह व्रत किसी भी बुरी स्थिति में उसकी रक्षा करता है. यह कठिन व्रत मे से एक माना जाता है. यह व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में भी अधिक प्रचलित है. संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी यह व्रत रखा जाता है ऐसे में चलिए जानते हैं जितिया व्रत की पूजा विधि और क्या है इसका महत्व.

निर्जला रहकर हर माता अपनी संतान की दीर्घायु की करती है कामना
जितिया का व्रत 24 घंटे का निर्जला व्रत होता है. इसकी शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है. वहीं इसका समापन नवमी तिथि के दिन किया जाता है. इस बार का जितिया का व्रत 24 सितंबर 2024 के दिन नहाए खाए से शुरू होकर 26 सितंबर को इस व्रत का समापन किया जाएगा. इस व्रत में एक दिन पहले से तामसिक भोजन जैसे प्याज लहसुन मांसाहारी भोजन करना वर्जित माना जाता है.

वहीं पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि जितिया का व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा इस व्रत को रखने वाली माता इस दिन सुबह उठकर स्नान कर पूजा पाठ कर नहाए खाए से शुरू करती हैं और दूसरे दिन निर्जला व्रत रहकर तीसरे दिन इस व्रत का समापन कर पारण करती हैं. जितिया व्रत संतान की दीर्घायु और उनके सुख समृद्धि के कामना के लिए किया जाता है इस दिन सभी माताए अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और इस उपवास में महिलाएं जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं.

इस दिन से शुरू इस दिन होगा खत्म, जानें पूजन विधि
पंडित मनोत्पल झा कहते हैं इस बार का जितिया का व्रत 24 सितंबर दिन मंगलवार को नहाए खाए से शुरू होगा. संयोग बस इसी दिन अष्टमी तिथि शाम को 5 बजे के बाद शुरू हो जाएगा. हालांकि उन्होंने कहा सनातन धर्म में मान्यता अनुसार जिसका उदय उसका अस्त माना गया है. जिस कारण अष्टमी तिथि का व्रत सभी माताए अगले दिन 25 सितंबर दिन बुधवार को करेंगी. इस दिन व्रती को निर्जला उपवास रहकर अगले दिन 26 सितंबर नवमी तिथि को सुबह 6:00 बजे के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर अपने संतान की लंबी उम्र की कामना करते हुए मीठे जल अर्पण कर बचे हुए शेष मीठे जल से पारण करना चाहिए.

जानें पूजन विधि व सामग्री
पंडित जी कहते हैं कि जितिया का व्रत करने में फूल पान के साथ-साथ कई मुख्य मिठाई की विशेष जरूरत होती है. इसमें खाजा, फेना, टिकरी, केला, अंकुरित चना, सरसो तेल एवं खल्लि, जियल का पत्ता, बाँस का पत्ता, नेनुवा का पत्ता सहित अन्य कोई सामग्रियों की जरूरत होती है. जिसकी पूजा पाठ कर व्रती अपना डाला भरकर भगवान से अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती है.

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