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Kailash Mansarovar Yatra News: भारत और चीन के रिश्तों को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. चीन ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही भारत और चीन के बीच सीधी फ्लाइट भी शुरू होगी. दोनों देशों रिश्तों पर नजर रखने वालों के लिए यह घटनाक्रम बेहद महत्वपूर्ण है. दरअसल, भारत-चीन के बीच गलवान विवाद के बाद कैलाश मानवरोवर और दिल्ली व बीजिंग के बीच सीधी फ्लाइट पर 2020 से ही रोक लगी थी. 

कैलाश मानसरोवर की यात्रा का फिर से शुरू होना हिंदू श्रद्धालुओं के काफी महत्वपूर्ण फैसला है. दरअसल, हिंदुओं में कैलाश को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है. इसकी यात्रा जितनी कठिन है, उतने ही ज्यादा रहस्य भी इस पर्वत से जुड़े हुए हैं. इनमें सबसे बड़े आश्चर्य की बात है कैलाश शिखर पर चढ़ाई. दुनिया में अभी तक कोई भी इस पर्वत पर चढ़ नहीं पाया है. जबकि यह पर्वत दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट से करीब 2000 मीटर छोटा है. 

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं 7 हजार से ज्यादा लोग

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है. जबकि, कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6638 मीटर ही है, यानी कैलाश पर्वत से करीब 2000 मीटर कम. इसके बावजूद माउंट एवरेस्ट पर 7000 से ज्यादा लोग चढ़ चुके हैं. जबकि कैलाश पर चढ़ने में अबतक कोई पर्वतारोही सफल नहीं हुआ. हालांकि, कुछ लोग कैलाश पर्वत की 52 किलोमीटर की परिक्रमा करने में जरूरी सफल हुए हैं. कैलाश पर चढ़ने की आखिरी कोशिश 2000 में हुई थी. लेकिन अब इस पर चढ़ाई पूरी तरह से प्रतिबंधित है. 

क्या है इसके पीछे का साइंस

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कैलाश को भगवान शिव और पार्वती का निवास स्थान भी माना जाता है. कैलाश को लेकर बहुत से रहस्य हैं. यहां तक कहा जाता है कि कैलाश पर्वत के शिखर पर समय तक रुक जाता है. हालांकि, इस पर चढ़ाई न कर पाने के पीछे साइंस भी है. दरअसल, कैलाश पर्वत की चढ़ाई एकदम खड़ी है. इस पर्वत का एंगल 65 डिग्री से ज्यादा है, वहीं माउंट एवरेस्ट 40 से 50 डिग्री एंगल का है. यही कारण है कि कैलाश की तुलना में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना काफी आसान है. वहीं कैलाश पर्वत पर मौसम भी प्रतिकूल नहीं रहता, कई बार इस पर चढ़ने की कोशिश हुई, लेकिन पर्वतारोहियों की जान चली गई. 

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